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उर्मिला पट्टेदार शहर की जानी मानी हस्ती । उसका ख्वाब था कि अपने बच्चों को इतना पढ़ाऊंगी कि लोग दाँतों तले उंगली दबा लेंगे ।
उसने अपने ख्वाबों की ऊँची उड़ान अपने जीवन में मिली ख़ामियों से ही सीखी थी । माँ बाप ने अपने हैसियत के हिसाब से उसे कोई कमी यो नहीं आने दी थी लेकिन अपनी लियाकत के हिसाब से जो कामयाबी पाना चाहती थी वो न पा सकी ।
वो कमियाँ अपने बच्चों पर न आने पाये, इसका उसने भरपूर ख़्याल रखा ।
दो बेटियां देवयानी और नुरानी पढ़ लिख कर बडी होने लगीं ।
उर्मिला खुद भी पढ़ी लिखी थी मगर वो डॉक्टर बनना चाहती थी । मगर घर की परिस्तिथियाँ कुछ ऐसी थीं कि वो , वो वाला मुकाम तो हासिल नही कर पाई, लेकिन देश की एक कामयाब बिज़नेस वोमेन ज़रूर बन गयी ।
वो सोचती थी अपने दोनों बच्चों को ऐसी कमी का तो अब सवाल ही नही था ।
बच्चों ने पढ़ अपनी पढ़ाई पूरी । दोनों ने इंजीनिरिंग कर यूनिवर्सिटी में टॉप किया और भारत की तरफ से एक अमेरिकी प्रोजेक्ट में दोनों ही चयनित हो उर्मिला के ख्वाबों को आसमान तक पहुंचा दिया । अमेरिकन सरकार ने उन दोनों को अपने देश में अमेरिकन साइंटिस्ट्स के साथ ट्रेनिंग देनी शुरू की ।
उर्मिला पट्टेदार की खुशियों का ठिकाना नहीं था । उसे अपने बच्चों पर गर्व होने लगा कि उसके सपनों को अब पूरा करने से कोई नहीं रोक सकता ।
उस दिन बुधवार था जब वर्ल्ड ऑर्गेनाईजेशनल मीट थी, उर्मिला पट्टेदार उसकी हेड थी ।
तैयारी कर वो घर निकलने ही वाली थी कि अपनी आदतानुसार उसने टी.वी न्यूज़ लगा दिए । कहीं भी जाने से पहले वो न्यूज़ ज़रूर सुना करती थी ।
टी.वी लगाते ही उसने जो देखा उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई ।
उसकी दोनों बेटियाँ सामने स्क्रीन पर बेख़ौफ़ नृत्य कर रहीं थीं औऱ मूविंग स्ट्रिप चल रही थी भारतीय मूल की दो नारीयों ने अमेरिका में तहलका मचा दिया ।
नृत्य समाप्त होते ही उनको एक बड़े गोल्ड कप से नवाजा गया जो उर्मिला के ख्वाबों को तहस नहस करता हुआ दिल के आर-पार निकल गया ।
हर्ष महाजन 'हर्ष'
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