Tuesday, February 28, 2023

बेकसी

 

                           बेकसी

रमाकांत ने बताया कि उस दिन सुबह-सुबह किसी ईश्वर दत्त गुप्ता जी का उसे फोन आया था और कह रहे थे कि उन्होंने मंदिर से बेटी अंतरा का बायोडेटा लेकर गए थे और वो अपने बेटे चेतन के रिश्ते के बारे में उनसे बात करना चाहते थे  ।

"लड़की और लड़के की एजुकेश भी तकरीबन एक जैसी है । दोनों ही इंजीनिरिंग के साथ एम०बी०ए है ।" तो लड़के के पिता ईश्वर ने जब ये कहा--तो रमाकांत ने भी कह दिया कि उनकी लड़की अंतरा ने साथ में एम०एड० भी कर रखी है जी"

औऱ साथ में रमाकांत ने खुशी-खुशी उन्हें ये भी कह दिया कि "क्यों नहीं, क्यों नहीं ।" अगर आपने बायोडेटा का मिलान कर लिया है औऱ पसंद भी है तो एक दिन किसी रेस्टोरेंट में या मंदिर में लड़की और लड़के दोनों का देखने-वेखने का प्रोग्राम बना लेते हैं ।

रजिया ने मटर छीलते हुए ही अपने पति केवल से पूछा-- - "अच्छा वो तुम्हारे पुराने दोस्त की बेटी अंतरा के लिए? अच्छा~~~ फिर?"

"फिर क्या ? रमाकांत ने अपनीं पत्नी लाजो से बात की होगी कि वो बेटी अंतरा से पूछ ले, कि वो किस दिन ऑफिस से छुट्टी ले सकती है या वो किस दिन फ्री है ।  तो उसी दिन किसी रेस्टोरेंट में देखने-दिखाने का प्रोग्राम बना लेते हैं । अब पता नहीं इस लड़की के मुक़द्दर यही लड़का लिखा हो ?

रमाकांत ने लाजो से अभी इतनी ही बात की थी कि बेटी अंतरा जो साथ वाले कमरे में बैठी ये सब सुन रही थी । वो एकदम  भड़कती हुई आग बबूला हो अपने कमरे से बाहर आई और चिल्लाती हुई आवाज में बोलती ही चली गयी  .......!!!

"अरे ?... क्या कहा उसने?".......!!!

यही कि "तुम लोग समझते क्यों नहीं हो ? कितनी बार मुझे लोगों के आगे फ़ोटो फ्रेम की तरह पेश करते रहोगे? कितनी बार मुझे रोज नए-नए कपड़े पहनाकर थाली में एक व्यंजन की तरह  परोसते रहोगे? तंग आ गई हूं मैं इन सब से । हर बार किसी न किसी के साथ बिना सोचे समझे देखने-दिखाने के नाम पर मुझे जलील करने के लिए अपने साथ ले जाते रहोगे और फिर वही "एक ही बात के साथ वही सिलसिला शुरू हो जाता है -----!!!!

हमें लड़की तो पसंद है । घर-बार भी पसंद है मगर हम चाहते हैं कि लड़का-लड़की आपस में एक दो बार मिल कर एक दूसरे को जान पहचान लें, उसके बाद फिर रिश्ता पक्का कर लेते हैं और ये सिलसिला हमारे साथ चार साल से मुसलसल चला आ रहा है ? क्या अभी भी आप लोगों का दिल नहीं भरा?" --- रो-रो कर कहती हुई अंतरा पाँव पटकती हुई अपने रूम के अंदर वापिस चली गयी और घंटो पलंग पर पड़ी रोती रही .......!!!!

औऱ माँ लाजवंती फिर उसको पलंग पर बैठे घंटो उसे सहलाती रही, मनाती रही.....!!!

फिर कई दिन तक माँ ने उसके मूड को ठीक करने में लगा दिए ।

"हाय राम !! चार साल हो गए क्या? उन्हें लड़का देखते-देखते?"--रजिया ने उसी बात को सोचते हुए बोली ।

"हो तो गये रजिया"-- उसके पति केवल ने उदास और बैचेन होते हुए कहा ।

रजिया ने फिर कहा-- "अरे रमाकांत की बिटिया अंतरा तो चाँद सी सुंदर भी है और ज़हीन भी । फिर ये आजकल के लड़कों को और क्या चाहिये? फिर अब तलक ये रिश्ता हो क्यों नहीं रहा?"

"पता नहीं भागवान अब क्या मामला है ? छोटे भाई की लड़की है इसलिए कुछ कह भी नहीं सकते न?"

"क्या मतलब?"

अरे सीधी सी बात है कि हमारे दोस्त की बिटिया अंतरा बहुत भोली-भाली और संस्कारी है । लेकिन आजकल के लड़के तो बहुत चालाक हैं न?"

"अरे तो फिर इसमें क्या बात हुई? तुम क्या कहना चाहते हो खुल के कहो न? मुझसे ही तो बात कर रहे हो, उनसे जाकर थोड़े ही कुछ कह रहे हो?"

"अरे कुछ ज्यादा नहीं । असल में मुझे लगता है अभी तक जो भी लड़के उसे देखने आए उन सबने अंतरा का बायोडाटा देखा और लड़की को भी देखा, मां, बाप से भी मिले । सब कुछ ठीक-ठाक रहा । सब कुछ उन्हें पसंद आ भी जाता है ।"

"तो फिर?"

जैसे ही लड़की-लड़के को बाहर दो तीन बार अकेले मिलने के नाम पर डेट करते है तो बस उसके बाद उनके फोन का इंतज़ार ही करते रह जाते हैं ।

तो इसका मतलब क्या हुआ?

"मतलब तो फिर साफ है न?"--केवल समझाते हुए बोला -----इसी डेट में ही कहीं कोई गड़बड़ होती है ।जबकि अंतरा  को दो तीन बार मिलने के बाद भी वो लड़का पसंद होता है ।

लेकिन

लड़के वालों की तरफ से कोई जवाब ही नहीं आता ?

"क्यों?"

"ये ही सोचने वाली बात है ।"

"हाँ यही तो मैं कह रही हूँ, ऐसा क्यों जी?"

"मैनें कहा न भागवान, कि रमाकांत के बेटी अंतरा बहुत भोली-भाली  है । हर बार लड़का, चालाकी से लड़की के अंदर की बातें, उसके सीक्रेट्स उससे वर्गला के पूछ लेता है और जब वो अंदर की बातें जान लेता है फिर उसमें कमी देख कर,  दुबारा इधर का रुख ही नहीं करता ।"

"मैं समझी नहीं, तुम क्या कहना चाहते हो?"

"तुम भी न बस डफर ही हो"

"हाँ- हाँ, वो तो मैं हूँ ही। पर तुम मुझे समझाओ तो?"

"मेरे कहने का मतलब ये है कि--लड़का, लड़की को झाँसा देकर पहले तो मीठी-मीठी बातें करता है, फिर लड़की को ऐसा शो करता है जैसे उसे सो प्रतिशत लड़की पसंद है और उसी से शादी करेगा । फिर लड़की को भी ऐसा फील होने लगता है कि ये लड़का उसे पसंद करने लगा है । जैसे ही लड़के को महसूस होता है कि उसने लड़की का विश्वास पा लिया है तो फिर वो अपना पासा फेंकता है।"

"क्या?"--रजिया आगे को झुक कर कुछ न समझते हुए पूछती है ।

"लड़का खुद के बारे में पहले कहेगा कि वो पहले बता देना चाहता है कि उसका किसी के साथ अफेयर था लेकिन अब ब्रेकअप हो चुका है ।
फिर आगे कहेगा , देखो अब हम जब रिश्ते में बंधने ही लगें है तो क्यों न हम पुरानी कुछ बाते शेयर कर लें । इतना कह कर वो हंसने लगेगा और फिर कहेगा--मेरा तो एक अफेयर था और अब तुन्हें देखकर सब खत्म   उसके बाद वो लड़की को पूछेगा--तुम्हारा भी की अगर कोई क्रश था तो उसे तुम भी भूल जाओ । अगर कोई है तो तुम भी बता दो ? लड़की तो यही समझती है कि जब सब कुछ सेटल हो ही गया है  तो बताने में हर्ज ही क्या है?
बस यहीं लड़की मार खा जाती है और लड़का लड़की का सीक्रेट पॉइंट और नेगेटिव बात लेकर चला जाता है और फिर मुड़कर वापिस ही नहीं आता ।"

"हाय राम !! ऐसे करते हैं लड़के? फिर तो ये देखने-दिखाने  का प्रोग्राम होना ही नही चाहिए?"

"ज़रूरी नहीं कोई अफेयर की बात ही हो? कोई और भी सीक्रेट हो सकता है जो लड़की ने बता दिया हो और वो लड़के को पसंद न आया हो?
कोई मम्मी/पापा के बारे में, या फिर अपनी मौसी या बुआ, चाचा, चाची या फिर दादा दादी के बारे में, कुछ भी ?"

"तो फिर आप ही समझाओ लड़की को कि क्या बात करनी चाहिए और क्या नहीं ? आपका अपना खास दोस्त ही तो है । उसकी बेटी भी तो आपकी बेटी हुई न?"

"नहीं भागवान !! अगर उसने कुछ गलत समझ लिया तो हमारा अपना रिश्ता भी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा ।"

"मुझे पहले ये बताओ कि तुम्हें अपना रिश्ता टूटने का डर है या लड़की के भविष्य का?"--रजिया ने पति को कटाक्ष करते हुए आगे पूछा ---"कि फिर लड़की को कैसे पता चलेगा कि वो कहाँ गलती कर रही है ? उसे कोई समझायेगा तो ही पता चलेगा न? तुम बताओ तो सही उसे क्या करना चाहिए?"

केवल ने कुछ सोचते हुए कहा-- "सही तरीका यही है कि पहले आप अपने अंदर छिपे जज्बातों पर नियंत्रण रखें और फिर सामने वाले की फीलिंग्स को ध्यान में रखकर अपनी बात कहें । घर की बातें, दिल की बातें जिनके बिना बताए भी गुजारा हो सकता है, कम से कम बताएँ बल्कि जितना हो सके उससे जानने की कोशिश करें ।  उसके साथ कम से कम समय बिता कर घर वापिस आने की कोशिश करें ।"

"हम्म्म्म हाँ जी बात तो तुम ठीक कह रहे हो जी ये जो मिलने-मिलाने का नया फैशन  है जो इंटरव्यू बन के हमारी अंतरा को बार-बार फेल करा रहा है ।"

~समाप्त~

हर्ष महाजन 'हर्ष'

◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
यह कहानी एक काल्पनिक रचना है और इसमें दिखाए गए सभी पात्र और पात्रों के नाम,स्थान और इसमें होने वाली सभी घटनाएं पूर्णतया: काल्पनिक हैं । इस धारावाहिक का किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति या घटना या स्थान से समानता पूर्णत: संयोग मात्र ही हो सकता है । इस धारावाहिक का उद्देश्य किसी भी व्यक्ति, धार्मिक समूह सम्प्रदाय, संस्था, संस्थान, राष्ट्रीयता या किसी भी व्यक्ति वर्ग , लिंग जाति या धर्म की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कतई नहीं है ।
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆

No comments:

Post a Comment