Friday, February 24, 2023

तापसी

 

        रोहन अपने पापा को मर्सडीज़ में बिठा अस्पताल की ओर चल दिया ।

आज उसने अपने आफिस से छुट्टी ही ले ली थी । सोच रहा था की पापा का आज फुल बॉडी चेकअप ही करा दूंगा । दिन पे दिन सेहत क्यों गिरती जा रही है पापा की,  ये पता क्यों नहीं चल पा रहा  ।  फिक्र तो ये थी कि अभी उम्र ही क्या हुई है पापा की ?   68 साल ही तो है ?  ये सब सोचते हुए रेड लाइट आ गयी औऱ रोहन ने इधर-उधर देखा तो एक छोटी सी भिखारन लड़की, जो सड़क पर ही गाड़ियों के आगे एक रिंग से करतब दिखा कर तमाशा कर रही थी । उसने रोहन की गाड़ी पहचान कर, जोर से आवाज लगाई-- "ऐ झिलमिल, देख तेरे बाबू जी आ गईल"

इतना कह वो छोटी सी लड़की फिर अपने करतब दिखाने में व्यस्त हो गयी ।

उसकी आवाज सुन एक सुंदर सी भिखारन खिलखिला कर हँसती हुई गाड़ी के  पास आई औऱ रोहन ने उसे पचास का नोट दिया, वो लेकर खिलखिलाती हुई ही वापिस चली गयी । रोहन के पापा ने जब ये देखा और उनके चेहरे पर धीरे-धीरे मुस्कराहट यूँ फैलती चली गयी कि वो हसीन ख्वाबों में खोते ही चले गए । आँखें फैलती चलीं गयीं । उसे अपना वो सारा मंज़र याद आने लगा ।

            अमित आज फिर अपने कॉलेज के लिए मम्मी को ये बोल जल्द घर से निकला कि वो इंतज़ार न करे , कॉलेज में आज फंक्शन है ।

                 रेड लाइट पर उसने अपनी गाड़ी बहुत धीरे कर नज़रें इधर-उधर घुमाई, लेकिन आज फिर वो नदारत थी । हाथ में जो दस का नोट था फिर उसने जेब में रख लिया । आज चौथा दिन था वो  चौक की रेड लाइट पर आज भी दिखाई नहीं दी ।

अमित ने रेड लाइट पार कर गाड़ी साइड में लगा दी औऱ वापिस रेड लाइट पर आ गया । इधर उधर और भी तीन चार भिखमंगे हाथ फैलाये गाड़ी वालों से भीख माँग रहे थे । ये सोचता हुआ कि पता नहीं उसके साथ क्या हुआ होगा । मन में एक अनजाना सा डर लिए अमित ने एक अधनंगे भिखारी लड़के को बुलाया और उससे पूछा ---
"बेटा यहॉं एक लड़की भी भीख मांगती थी वो तीन चार दिन से दिखाई नहीं दी, कहाँ गयी ?"

उस लड़के ने अमित की बात अनसुनी कर वापिस गाड़ियों की भीड़ में भीख मांगने चला गया । अमित ने सोचा शायद इस लड़के को उसकी बात समझ नहीं आयी । उसने एक बड़ी सी घाघरे वाली औरत जिसने अपनी गोद में एक बच्चा भी उठा रखा था, उससे जाकर पूछा कि--' "यहां एक नीली आंखों वाली 18/19 साल की लड़की भी आपके साथ थी वो कहां गयी ?" तो उसने बताया कि---"उन्हें यहाँ आये अभी तीन दिन ही हुए हैं हमारे ग्रुप में ऐसी कोई लड़की नहीं है ।"

अमित अब ये सोच रहा था कि ये कह तो सच रही है । क्योंकि उसे वो तीन चार दिन से ही नहीं देख रहा था ।

अमित ने उससे फिर पूछा -- "पहले वाला ग्रुप कहाँ गया ?"

अब वो घाघरे वाली औरत कुछ गम्भीर हो गयी और शक्की निगाहों से उसे देखती हुई बोली मुझे नहीं मालूम सर । कह कर वो भी गाड़ियों की भीड़ में गायब हो गयी ।

उसके रवैये से परेशान हो अमित को कोई राह नहीं सूझ रही थी कि अब वो क्या करे, तो वो अपनी गाड़ी की ओर चल पड़ा ।

उदास मन लिए उसे न जाने क्यूँ उस लड़की की शक्ल उसके दिल ओ दिमाग़ में घूमने लगी ।

आज अमित को पहली बार ऐसा महसूस हुआ कि जो शख्स आपकी रोज़ की दिनचर्या में शामिल होता है अगर वो अचानक से आपकी दिनचर्या से नदारद हो जाये तो इंसान उसे न चाहते हुए भी ढूँढने  की बेवज़ह कोशिश करने लगता है ।

अमित उसकी छवि को न चाहते हुए भी याद कर रहा था । बिखरे-बिखरे बाल, बिना मुँह धोए खाते हुए । मैले कुचैले कपड़े । कई महीनों से अमित उसे यही समझाता रहा कि नहा के आया करेगी तो बीमार भी नहीं होगी औऱ ज़्यादा पैसे भी दूंगा ।
तब से उसमें फर्क तो पढ़ना शुरू हो गया था  लेकिन अब भी स्तिथि ज़्यादा नहीं सुधरी थी । ये सोचते-सोचते वो अपनी गाड़ी का दरवाजा खोलने ही लगा था कि पीछे से एक आवाज़ सुन कर वो चोंक गया--"बाबूजी?"

अमित ने पीछे मुड़ के देखा कि एक लड़का उनके पास आया और पूछने लगा--"सर आप किसको ढूँढ रहे हैं ?"

ये सुनते ही अमित ने कुछ राहत सी महसूस की । अमित कुछ कहता वो लड़का खुद ही बताने लगा कि सर मुझे तप्पू सब कुछ बताती थी आपके बारे में ।

अमित ने पूछा - "तप्पू कौन?"

वो तापसी !! जिसे आप रोज़-रोज़ अच्छी-अच्छी बातें सिखाते थे ? आपको उसका नाम भी नहीं मालूम?

उसकी इस बात पर तो मुझे भी शर्म आ गयी कि मैनें उससे कभी उसका नाम ही नहीं पूछा ? दो साल से मैं उसे जानता था । आज नहीं है तो उसकी हर बात और उसका खिलखिलाना और सबसे ज़्यादा वो हँसी---जब मैं उसे कहता था कि चलोगी मेरे साथ मेरे घर ?

तो वो खिलखिला कर हँस देती थी और भाग जाती थी  । उसका वो मासूम चेहरा मेरी आँखों के आगे से हट ही नहीं पा रहा था ।

वो लड़का फिर बोला--सर मेरा नाम झूमर है । मैं वो (उस तरफ इशारा करते हुए) देखो सामने एक लक्कड़ का डिब्बा रखा है न ? वहां पर चाय बेचता हूँ । तप्पू मुझे बहुत अच्छी लगती थी सर । हमारी खूब अच्छी दोस्ती थी ।

अमित ने उसे हैरान होकर पूछा --तुम तो अभी बहुत छोटे हो?

हॉं सर जी मुझे वो बहुत अच्छी लगती थी । हम दोनों एक दूसरे का बहुत ख्याल रखते थे ।

तुम्हारी कितनी उम्र है ?

यही कोई ग्यारह साल सर ।

तो वो अब कहाँ चली गई ?

इस बात पर वो तो भावुक हो सिसक पड़ा और इधर-उधर देख डरता हुआ  बोला-- "सर तीन चार दिन पहले  मुझे उन्होंने बहुत मारा और कहा - तापसी से अगर बात भी की तो तुम्हारा पता भी नहीं चलेगा कि कहाँ गये तुम । औऱ उस दिन के बाद वो दुबारा नज़र नहीं आयी"

अमित उसकी तरफ देख उसे जज करने की कोशिश करने लगा कि ये झूमर सच कह रहा होगा? लेकिन ये मानने के सिवा और चारा भी क्या था ।?

मेरा मन फिर भारी होने लगा । जैसे-जैसे वक़्त बीत रहा था उसके प्रति कशिश बढ़ती जा रही थी ।

               कुछ देर मौन रहकर झूमर ने फिर ज़ुबान खोली औऱ बोला -"सर जी मुझे आज ये नए भिखारियों की फुसफुसाहट से ये सुनाई पड़ा है कि इस रेड लाइट वाले सारे ग्रूप को कहीं किसी ओर ही रेड लाइट पर शिफ्ट कर दिया है ।

ना उम्मीदी ने अमित को चारों ओर से घेर लिया । भारी मन लिये हुए जब अमित ने अपनी कार स्टार्ट की --तो दो अश्क़ उसकी आँखों से गालों का सफ़र करते हुए दामन में आ गिरे ।

रात देर घर लौट कर वो सीधे अपने कमरे में जाने लगा । तो मम्मी ने पूछ लिया-- "क्या आज फिर किसी से बहस हुई क्या?"

किसी से नहीं मम्मी बस आज बहुत थक गया हूँ ।

"अच्छा-मैं फिर दूध देती हूँ पीकर सोना थकावट दूर हो जाएगी ।"

"जी मम्मी !!"

            कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा । भूख के नाम पर सिर्फ कभी ब्रेडपीस कभी एक फुल्का । न जाने क्यों हर वक़्त तापसी का अक्स उसके आगे आने लगा । मम्मी बहुत पूछती--बेटा बता क्या गम है । तुझे भूख क्यों लगनी बंद हो गयी ?

          बस कुछ नही मम्मी सब ठीक है । गर्मी है न इसलिए नही लग रही होगी । तुम चिंता न किया करो ।----यही जवाब दे अमित टाल देता ।

उस दिन सुबह-सुबह बरामदे में बैठ कर बड़े दिनों बाद उसने मम्मी को आवाज लगाई -- "आज चाय बना दो ।"

मम्मी बहुत खुश थी कि आज अमित ने खुद चाय मांगी । मम्मी ने दो कप चाय बनाई और एक कप अमित को एक खुद लेकर अमित के साथ आकर बैठ गयी औऱ शादी के लिए फिर बात छेड़ दी ।

थोड़ा गुस्से में उसने कहा - "मम्मी एक बार कह दिया न कि जब करनी होगी बता दूंगा ।"

ये सुन मम्मी फिर चुप औऱ उदास हो गयी।

टेबल से उसी वक़्त आयी अख़बार उठाकर देखी तो फ्रंट पेज पर  एक खबर पढ़ी कि राजा-गार्डन चौक पर एक ट्रक कुछ भिखारियों को रौंदता हुआ पटरी पर चढ़ गया ।

अमित ने जब ये खबर पढ़ी तो चाय का कप नीचे रख अपनी नज़रें अखबार में गड़ा दीं ।

नीचे मरने वालों और घायलों की लिस्ट थी ।  उस लिस्ट में तापसी का नाम उसने पढ़ा तो उसे ज़बरदस्त धक्का लगा । उसने फ़टाफ़ट अखबार खंगालनी  शुरू जार दी  और अस्पताल का नाम देख कर जल्दी से तैयार होकर निकलने लगा तो मम्मी ने पूछ लिया--"क्या हुआ बेटा चाय भी छोड़ दी? ऐसा क्या देख लिया अखबार में ?"

"मैं अभी आ रहा हूँ मम्मी"- कह कर वो बाहर निकल गया ।

मम्मी ने वो पेज देखा जिसको पढ़ कर वो भागा।

उसकी मम्मी को उसमें ऐसी कोई ख़बर नज़र नही आई जो उसकी जाने की वजह बने ।

संजय अस्पताल में जब अमित पहुंचा तो पूछताछ काउंटर ने उसे बताया कि इमरजेंसी से पता करो ।

वहाँ पता किया तो पता चला कि तापसी की हालत बहुत नाज़ुक थी उसे पांचवे तल आपरेशन के लिए भेज दिया गया था आप वहॉं जाकर पता कीजिये ।

अमित भागता हुआ पांचवे तल पर पहुंचा । वहाँ जब काउंटर से तापसी के बारे में पूछा --तो उसने बताया कि तापसी को यहीं ऑपरेशन के लिये लाये तो थे मगर लावारिस होने के काऱण उसका ऑपरेशन लेट हो गया था कोई साइन करने वाला ही नहीं था । उसकी रात को ही मौत ही गयी थी ।

ये सुन अमित ने वहां हंगामा मचा दिया कि आप लोग इतने लापरवाह कैसे हो सकते है ?

अब एक्सउडेन्ट के वक़्त ये ज़रूरी तो नहीं उसके साथ कोई हो ही । इसका मतलब ये तो नहीं आप उसका आपरेशन ही न करो?

    आप कौन है उनके?--काउंटर से सवाल पूछा गया ।

इस सवाल पर अमित ने पूछा--बॉडी किधर है ?

साथ जाकर बॉडी देखी तो अमित ने चैन की सांस ली ।

वापिस आया तो आज अमित ख़ुश था । घर पहुँचते ही मम्मी से फिर चाय बनाने को कहा ।

मम्मी ने फिर चाय बनाई और उसके पास अखबार  लेकर बैठ गयी ।

बहुत पूछने पर भी अमित कुछ नही बोला । दिल की बात दिल में ही दबा वो आफिस को निकल गया ।

        इस बात को तीन साल बीत गए । लेक़िन अमित की दिनचर्या वही थी । जब भी वो घर से निकलता हर रेड लाइट पर उसकी नज़रें तापसी को ही ढूँढती ।

एक दिन अमित जब आफिस से घर आया तो मम्मी ने कहा -- बेटा आज तेरे पापा के दोस्त का फोन आया था ।

"कौन से--- वो गीरीश अंकल ?"---अमित झट से बोला ।

"हाँ "- मम्मी बोली ।

"अरे वो शकुन को राखी बांधने की बात कर रहे होंगे न ? मुझे याद है मम्मी, मैं साथ लेकर आया हूँ आज राखी ।"--अमित ने फिर कहा--"तुम चलोगी ?"

"हॉं बेटा --कितने दिन हो गए घर में बंद हुए थोड़ा बाहर निकलूँगी तो मन ठीक ही जायेगा ।"

अमित ने गाड़ी रिंग रोड पर दौड़ा दी । ग्रेटर कैलाश रेड लाइट पर गाड़ी खड़ी हुई तो अमित के कान में ऐसा लगा कि जैसे दूर से तापसी की आवाज आ रही हो "ओ बाबूजी- बाबूजी ओ बाबूजी"

वहम समझ अमित ने अपने सर को एक झटका दिया और रेड लाइट ग्रीन होते ही उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी । लेकिन अमित के कान में फिर वह आवाज गूंज गई । अमित ने रेड लाइट पार कर गाड़ी वहीं खड़ी कर बाहर निकल आया । मम्मी ने पूछा क्या हुआ?? गाड़ी बीच में ही क्यों खड़ी कर दी ?

    अमित गाड़ी से बाहर आकर रेड लाइट पर खड़ा हो उस आवाज की ओर देखने लगा । एक लड़की दूर से भागती हुई औऱ आवाज लगाती हुई आ रही थी । धीरे-धीरे वो पास आती गयी और अमित का चेहरा खिलता हुआ नजर आने लगा । मम्मी साफ-साफ देख रही थी । 

      तापसी पास आई तो अमित ने महसूस किया कि वो बिल्कुल बदल चुकी थी । एक दम साफ सुथरी । अमित ने अपनी दोनों बाहें खोल दीं । वो सीधे आकर बाबूजी-बाबूजी कहते हुए रोते-रोते ये कहते हुए लिपट गयी कि- " कहाँ चले गए थे बाबूजी कहां चले गए थे आप ।"

                    खुद की साफ-साफ पोशाक को दिखाते हुए । -- "देखो-देखो अच्छी है न ? देखो -देखो मेरा चेहरा देखो बाबूजी मैं अब रोज़ नहाती हूँ बाबूजी ।"

अमित ने प्यार से उसके मुँह पर हाथ रख उसे फिर एक बार छाती से लगाया और उसके माथे पर एक प्यार भरा चुम्बन ।

माँ अचंबित सी उसे देखे जा रही थी ।

           रोहन अस्पताल की पार्किंग में गाड़ी लगाकर नीचे उतरा और पापा के उतरने का इंतज़ार करने लगा ।

थोड़ी देर देखा वो नहीं उतरे तो रोहन ने उन्हें हिलाकर--- "पापा उतरो अस्पताल आ गया।"

हर्ष महाजन 'हर्ष'
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---------समाप्त--------


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