Wednesday, March 1, 2023

आस्था

 




सत्ताईस साल की अंतरा आज साराबाई एक्सपोर्ट हॉउस के आफिस में उस दिन पहुंच कर बड़ी खुश थी और आधा घंटा जल्दी भी पहुंच गई थी । ब्रांच के जमादार ने अभी-सभी पोछा लगाकर सुखाने के लिए पंखा चला दिया था । अपनी टेबल पर पहुँच कर अपना बैग रखते हुए पहले अंतरा ने उमेद सिंह को आवाज लगाई - "उमेद एक कप कड़क चाय बना आज"

उमेद सिंह हैरान होकर मुड़ा और अंतरा मैडम की ओर देखने लगा । आज मैडम बनठन कर फिरोजी साड़ी पहने बालों को अच्छी तरह सँवारे हुए पीछे की तरफ लपेट कर छोटी सी जूड़ी बना रखी थी । सादी मगर बहुत ही सुंदर लग रही थी । उमेद ने टोकते हुए पूछा--"मैडम आज आप औऱ चाय?"

'हाँ उमेद, आज कड़क चाय पीऊँगी"--अपनी टेबल का सामान संवार कर रखते हुए सरसरी तौर पर अंतरा ने कहा ।

'मैडम आज कोई खास बात है क्या जो आपने चाय का ऑर्डर दिया?"

अपने बैग से एक बड़ा मिठाई का डिब्बा और दो पॉलीथिन के लिफाफे निकाल कर उमेद की ओर बढ़ाते हुए----
"हाँ उमेद आज मेरे लिए बहुत बड़ा दिन है और खास बात ये है कि मेरी बिटिया "आद्रिका' का आज बर्थडे है । आज वो आठ साल की हो गयी ।"

"बहुत-बहुत मुबारक हो मैडम !!!बस अभी बना के लाया कड़क चाय आपके लिए"--कहते हुए उमेद कैंटीन में जाने लगा तो अंतरा ने फिर कहा--"उमेद ?'

मैडम की आवाज सुन उमेद थोड़ा रुक गया ।

"जैसे ही सारा स्टाफ़ आ जाये तुम सबकी टेबल पर एक मीठा, एक नमकीन रख देना और फिर चाय दे देना ।"---मैडम ने आगे कहा ।

जमादार भी मैडम को विश कर के कैंटीन में चला गया । सारा स्टाफ धीरे-धीरे अपनी सीट पर पहुंच चुका था । उमेद सिंह कैंटीन से बाहर खड़ा मैडम के ईशारे का इंतज़ार कर रहा था । उसी वक़्त ब्रांच मैनेजर मिस साराबाई ब्रांच में दाखिल हुई औऱ अपने केबिन में चली गयी ।

अंतरा ने उमेद को इशारा किया और उमेद और स्वीपर राम आसरे ने सबके टेबल पर एक प्लेट में एक मीठा और नमकीन रखते चले गए और जन्म दिन की खबर बताते गए । सभी लोग  सुबह सुबह मिठाई खाने में मशगूल हो गए । कुछ खाने से पहले ही बधाई देने आने लगे और बाकि अभी खाने में ही मस्त लगे ।

अंतरा की इतनीं हैसियत तो नहीं थी लेकिन उसने खुशी-खुशी सो रुपये उमेद सिंह और सो रुपये जमादार राम आसरे को काम करने के एवज में दे दिए ।

उमेद औऱ राम आसरे ने मना भी किया लेकिन अंतरा ने उन्हें पैसे अपनी जेब में रखने को कहा ।
अंतरा के साथ ही बैठी इशानी ने अंतर को बधाई देते हुए कहा--"अंतरा खुशी में सब कुछ जायज होता तो है लेकिन खर्चा अपनी पॉकेट देख कर ही करना? ये देख लेना, जो भी खर्चा कर रही हो इसका कहीं तेरे बजट में फर्क तो नहीं पड़ रहा?

इस बात पर अंतरा ने थोड़ा उदास होते हुए इशानी को बताया -- "क्या करूँ इशानी, अगर मेरे बस में हो तो सारा खर्च कर दूँ । पर इतना सा खर्चा करने से भी मैं अपनी आद्रिका को थोड़ी सी खुशियां दे सकूँ मेरे लिए यही बहुत है"

उसी वक़्त घर से आद्रिका के दादू का फोन आता है तो वो फट उठ कर वो कैंटीन में चली जाती है और फोन पिक करती है-- "हाँजी पापा कहिए कैसे किया फोन?"

"बेटा अंतरा वो आद्रिका ठीक नहीं लग रही । तू घर आजा बेटा ।"

अंतरा का तो जैसे हलक ही सूख गया । पापा कभी भी ऐसे आफिस में फोन नहीं किया करते थे । आज कुछ ज्यादा ही गड़बड़ लगती थी जो उन्होंने फोन किया होगा । 

आद्रिका अभी तो आज आठ साल की हुई थी । बेटा अंश पांच साल का था । फोन अभी कान पर ही था । ब्रांच के लोग बारी-बारी से कभी कोई तो कभी कोई, बच्चे की बधाई देने आते जा रहे थे ।

लेकिन अंतरा  एक दीवार के सहारे फोन को कान पे लगाए जड़वत खड़ी न जाने किस सोच में डूब गई थी ।

दो साल पहले किसी वैध डॉक्टर ने बताया था कि उसको कब्ज़ की वजह से पेट दर्द रहता है । पापा ने अपनी हैसियत के हिसाब से बहुत से देसी इलाज करवाये । लेकिन दर्द पूरी तरह ठीक ही नहीं हो पा रहा था  ।

अस्पताल में डॉक्टरों की फीस देने की हैसियत न होने की वजह से वहां का इलाज नही करवा पाए ।
पहले कभी-कभी दर्द होता था । वैध की दवाई से फर्क पड़ जाता था । लेकिन अब दर्द कम होता है लेकिन पूरा ठीक नहीं होता ।

उमेद सिंह जैसे कैंटीन में आया तो अंतरा ने फट अपनी नम आंखों को अपने दुपट्टे से सहलाया और अपनी सीट पर जाकर अपना सामान समेटने लगी । उमेद की नज़रों से आंसू छुप न सके । वो समझ गया कुछ बात तो जरूर है । उसने बाहर आकर पूछा--"मैडम बिटिया रानी तो ठीक है न?

अंतरा की आंखों से टपकते आंसू अपनी कहानी कह गए ।

इशानी तो बिना कुछ पूछे ही सब समझ गयी और उसके पास आकर सर पर हाथ रख वो बोली -- "अंतरा चुपचाप से जल्दी घर निकल जा । यहॉं मैं देख लूँगी"

उमेद झट से बोला--"मैडम मैं पार्किंग से स्कूटर निकाल रहा हूँ जल्दी आ जाना"

घर पहुंची तो वैध बिटिया आद्रिका को चैक कर रहा था। उसने फिर दो गोलियां दी और कहा --"बाटला जी बिटिया को एक बार अस्पताल में  ज़रूर दिखा दीजिये ।"

बाटला साहब ने असहाय होकर वैध से पूछा- "वैध जी आपके पास कोई ऐसा करिश्मा नहीं है कि बिटिया रानी एकदम से ठीक हो जाये?"

पाँच साल का अंश उस वक़्त भी वहीं खड़ा था ।

वैध ने कहा-"अगर मेरे पास होता तो मैं तो आपके कहने से पहले अभी तक दे चुका होता  और बिटिया ठीक न हो चुकी होती ?"

छोटा सा अंश खड़ा-खड़ा सब सुन रहा था । उसे वैध पर बहुत गुस्सा आ रहा था ।

वो जल्दी से अंदर गया और छुप कर अलमारी से अपनी गुल्लक निकाली और छत पर जाकर उसे तोड़ दिया । सारे पैसे इकट्ठे कर उसने देखा एक सो सत्तर रुपये थे । उन्हें लेकर वो अपनी गली के कौने में एक बहुत बड़ी केमिस्ट की शाप पर गया और दुकानदार से बोला-- "मुझे एक करिश्मा दवाई दे दो"

"करिश्मा दवाई?"

"हाँजी अंकल, मेरी बहन बहुत बीमार है उसे देनी है उससे एकदम ठीक हो जाएगी"

"अपने पापा को भेजो बेटा ।"

"देखो मेरे पास पैसे भी है"

केमिस्ट ने बच्चे को बोला--"ऐसी कोई दवाई नहीं----"

केमिस्ट के कुछ कहने से पहले ही वहां पर आए एक कस्टमर ने बच्चे को जवाब दिया--"हाँ बेटा क्या चाहिए।"

"करिश्मा दवाई"

"किसने बताया बेटा ?"

"वैध जी ने बताया की उनके पास करिश्मा दवाई होती तो मेरी बहन उसी वक़्त ठीक हो होती । वो बहुत दिनों से बीमार है"

"कितने पैसे हैं तुम्हारे पास?"

"एक सो सत्तर रुपये हैं मेरे पास"

"हाँ !! इतने में तो आ जायेगी । लाओ दे दो मुझे और ले चलो मुझे अपनी बहन के पास"

घर जाकर उस शख्स ने आद्रिका को पूरी तरह चैक किया । वो शख्स अस्पताल का बड़ा सर्जन था । उसने अस्पताल में उसे दाखिल कर सारे टेस्ट करवाये और तीन दिन बाद उसका ऑपरेशन कर पेट से एक किलो वजन का एक ट्यूमर निकाला जिसकी वजह से असहनीय दर्द होता था ।

डॉक्टर ने बताया कि अगर इस ट्यूमर को इस वक़्त नहीं निकाला जाता तो ये फटने वाला था । जब बाटला साहब ने डरते-डरते डॉक्टर साहब को उनकी फीस पूछी तो उन्होंने उस बच्चे की ओर इशारा कर कहा-"अंश ने मेरी फीस एडवांस में दे दी थी ।

औऱ उसे अपनी गोद में उठा लिया । गोद में आते ही अंश ने पूछा--अंकल ? करिश्मा दवाई मिल गयी
थी न?"

"हाँ बेटा"

"देखा-!!! वैध ने कहा था उसी से ठीक हो जाएगा ।"--अंश ने कहा ।

उनकी बातें सुन कर अंतरा दूर खड़ी आँखों से खुशी के ऑंसू टपकाती रही ।

~~समाप्त~~

हर्ष महाजन
💐💐💐

7 comments:

  1. सुंदर भावपूर्ण लघुकथा।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद

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  2. बहुत ही सुंदर

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  3. मेरी रचना को स्थान देने के लिए शुक्रिया सैनी जी ।

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  4. बेहद शुक्रिया ।

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  5. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण भावाभिव्यक्ति ।

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    1. बहुत बहुत धन्यावाद

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