Thursday, February 23, 2023

मौत बारिश औऱ लॉकडाउन

 


           आख़िर हार कर राजेश को घर से बाहर निकलना ही पड़ा । उसके बेटे पिन्टू को 103 बुख़ार था ।

        डॉक्टर को फ़ोन कर बताया । उसने कहा बाकि कोई सिम्टम्स अगर नहीं है तो कोई घबराने की बात नहीं है । रात को उसने मेडिसिन लिखवा दी थी । घर में कोई दवाई नहीं थी । बुखार तेज़ होता जा रहा था । पत्नी कामिनी, पिन्टू को बड़ी देर से गीले कपड़े से पट्टियां कर रही थी ।

लॉक डाऊन की वजह से हर सड़क पर बैरियर लगे थे और पुलिस तैनात थी । बरसात अलग से परेशान कर रही थी ।

     राजेश ने पहले बाहर झाँका फिर उधर-उधर देख वो दबे पाँव से जैसे ही बाहर निकला  रास्ते में खड़े एक पुलिस वाले ने उसको डांटना शुरू कर दिया। बोला — तुम लोग बाज नहीं आओगे जब पता है आप लोगों को कि लॉकडाउन में घर में ही बैठना है बाहर नहीं निकलना तब भी बार-बार बाहर निकलते हो । लगता है ऐसे नहीं मानोगे।
 

                राजेश ने हाथ जोड़ते हुए बहुत मिन्नते की कि दवाई लेने जाना है उसने दवाई का नाम भी बताया जो हाथ से लिखी थी मगर वो कहने लगा  कि डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन दिखाओ । बरसात भी मूसलाधार शुरू हो गयी थी । वो फिर वापिस घर के अंदर आ गया और कामिनी से बोला- आजकल पुलिस वालों से बड़ा खतरा हो गया है गली-गली में बैठे हुए हैं।

अरे मैनें हरि भैया को  को बोला है उसके पास बुखार की गोली है अभी दे जाएगा - कामिनी ने झल्लाकर कहा ।

लेकिन राजेश को था कि जो डॉक्टर ने दवा लिखवाई है वही मिल जाये तो जल्दी आराम आ जायेगा । वैसे भी कितने ही दिनों से अंदर बंद है ।

     वो फिर एक बार छाता लेकर बाहर निकला ।
गली के दूसरी ओर से सकरा रास्ता बाहर की ओर निकलता है वहॉं कोई नहीं खड़ा था । वो आगे बढ़ता गया उसे वहॉं कोई भी दिखाई नहीं दिया । वो तेजी से आगे बढ़ने लगा । जैसे ही गली का मोड़ मुड़ा आगे से रास्ता बंद मिला । चारों तरफ पानी ही पानी भरा था । आगे पता नही कितना गहरा पानी था इसलिए उसे पार करने में खतरा था ।

       गली में ही सुखविंदर का घर था उसके घर के अंदर से वो दूसरी तरफ जा सकता था । यही सोच
छुपते-छुपाते अपने दोस्त सुखविंदर के घर पहुंच दरवाजा खटखटाया । लेकिन  उसने बाहर आने से मना कर दिया औऱ अंदर से ही बोल दिया कि घर में सभी को कॅरोना है  सभी बीमार है औऱ फिर
बोला— माफ करना भाई मैं तो वैसे भी इस समय लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कर रहा हूँ तुम भी पालन करो और घर लौट जाओ इसी में तुम्हारी हमारी और देश की भलाई है।

दोस्त की बात सुनकर राजेश बोला— ठीक है तुम डर कर बैठे रहो । यह कहते हुए वह गुस्से में आगे बढ़ गया रास्ते में मोटर साइकिल पर एक अजनबी दिखा जो उसी तरफ जा रहा था राजेश के कहने पर उसने लिफ्ट दे दी और दूसरे मोहल्ले तक छोड़ दिया।
किसी तरह छाते से कवर करते हुए मगर फिर भी भीगता हुए वो केमिस्ट से दवाईयां लेकर घर वापिस पहुँचा ।

घर पहुंचते ही पत्नी कामिनी ने पूछा --- "कहाँ चले गए थे ? मुँह इतना लाल क्यों हो रहा है ।"

राजेश ने धीरे से कहा -"दवाई लेने गया था  ।  अब थोड़ी थोड़ी मुझे ठंड लग रही है ।"

         "तो बाहर जाने की जरूरत क्या थी ?  जब पता है कि कोरोना की बीमारी फैली हुई है ऐसे में खतरा मोल लेने की क्या ज़रूरत थी ?"---कामिनी ने जोर से बोलते हुए कहा ।

    ये कहते हुए वो घबरा भी रही थी । पिन्टू की बीमारी को वो जैसे-तैसे झेल रही थी मगर अब राजेश भी ?

ये सोच कि कहीं कॅरोना घर आ गया तो ? --- इस नामुराद ख्याल से ही वो सिहर गयी ।

उसने जल्दी से लैब में फोन किया ।

एक घंटे में ही लैब वाला किट पहने घर पहुंच गया ।

उसने तीनों के ब्लड सैंपल लिये और चला गया । अगले दिन रिपोर्ट आई राजेश कॅरोना पोस्टिव निकला ।

कामिनी की भागा दौड़ी शुरू हो गई । कहीं भी किसी भी अस्पताल में कोई जगह नहीं मिली ।

सब जगह अनोउंसमेन्ट होने लगी बरसात में लोग बाहर न निकलें । कॅरोना बहुत भयानक रूप ले चुका है ।

लेकिन कामिनी को कुछ नही सूझ रहा था । राजेश की ऑक्सीजन लेवल गिरता जा रहा था । राजेश खुद भी कई जगह फ़ोन कर रहा था । कोई भी दोस्त- रिश्तेदार आगे आने को तैयार नही था ।

बारिश का प्रहार जान लेवा साबित हो रहा था ।

फिर कहीं से कामिनी ने एक ऑक्सीजन सिलेन्डर का इंतज़ाम कर लिया । एक सिलेण्डर कब तक चलता ।

         राजेश की अब सांसे उखड़ने लगीं थी ।

   कोई राडता न सूजा तो पडौसी हरि को कामिनी ने फिर फ़ोन लगाया और बताया कि राजेश की हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है भैया, कोई इंतजाम कर दो उनकी साँसे उखड़ रही हैं ।
(लगभग गिड़गिड़ाती हुई कामिनी ने कहा)

      हरि ने कोशिश कर किसी तरह उसे नज़दीक ही किसी रिश्तेदार के लिंक  से उसे अस्पताल में दाखिल कराया ।

पिन्टू की हालत भी साथ-साथ और खराब होने लगी । उसकी तीमारदारी करते-करते कामिनी खुद भी हरारत फील करने लगी ।

बरसात इतनी मूसलाधार चल रही थी कि इलाज़ के लिए इधर-उधर जाना भी मुहाल हो गया ।

राजेश का भी कुछ पता नही चल रहा था ।

कामिनी ने हरि को फिर फोन किया कि उसकी तबियत खराब हो रही है  ज़ुबाँ सूखती जा रही है।

             हरि ने कहा कि बरसात और तूफान बंद हो तो कोई बात बने । किसी तरह उसके वास बुखार की दो गोलियां पड़ी थी वो देकर आया ।

                   दो  दिन हो गए हरि भी परेशान हो गया कि कामिनी भाभी का कोई फ़ोन नही आया । फिक्र होने लगी ।

               हरि ने कुछ शंका के चलते पानी से भरी गली को तैर कर पार किया और राजेश के घर का दरवाज़ा खडक़ाया ।

           काफी देर के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो उसने साथ वाले की  छत फाँद कर कामिनी के पास पहुँचा ।

लेकिन कामिनी अब इस दुनियां में नही थी ।

पिन्टू को भी होश नहीं लग रही थी ।

रिस्क लेते हुए  हरि ने पिन्टू को कंधे पर उठा  उसे जल्दी से पानी से गुजरता हुआ अपने घर ले गया और डॉक्टर की देख रेख में उसका इलाज़ शुरू करवाया ।

       कामिनी को एम्बुलेंस आकर ले गयी औऱ शाम चार बजे का हमें वक़्त दिया गया शमशान पहुंचने का  ।

हरि ने राजेश और कामिनी के घर वालों को इन बातों से अवगत करवाया ।

उन्होंने हरि से आग्रह किया वो ही सभी क्रिया कर्म पूरा कर दे ।  क्यों कि लॉक डाउन में सब कुछ बंद था ।

मातम का माहौल पसर गया ।

पिन्टू को अब फर्क पड़ने लगा ।

अस्पताल से आज फिर एक दर्दनाक ख़बर आई ।

राजेश अब इस दुनियाँ में नही रहा । 

हरि अगले दिन फिर  12 बजे शमशान घाट पहुंचा और रस्म पूरी की ।

दस दिन हो गए पिन्टू अब स्वस्थ नज़र आ रहा था । हरि ने उसको बॉल खेलने को दी ।

पिन्टू ने बॉल  पिन्टू की ओर उछालते हुए पूछा मम्मी पापा कब आएंगे ?

ये  सुन हरि अश्क़ लिए स्तब्ध खड़ा का खड़ा  पिन्टू के मासूम चेहरे को देखता रह गया ।

हर्ष महाजन 'हर्ष'
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