राजेश और कामिनी को बाज़ार में कुछ साजो सामान लेते हुए वक़्त कुछ ज़्यादा ही लग गया । सामान लेकर कोठी पर वो वापिस लौटे ।
थोड़ा अंधेरा हो चुका था । लेकिन कोठी का दरवाजा खुला था ।
दोनों हैरान इस बात से थे कि बाबू जी ने घर की लाइट भी नहीं जलाई । अंधेरे में ही बैठे हैं?
पिंटू सो चुका था ।
राजेश दिमाग में किसी अनहोनी का अंदेशा लिए अंदर की ओर बढ़ा । कामिनी भी पीछे पीछे आगे बढ़ी ।
मगर अंदर कोई भी नहीं था ।
न माँ न बाबू जी ।
सारी खुशियाँ पलक झपकते ही काफ़ूर हो चुकी थीं ।
पिंटू को पलंग पर लिटा राजेश-- बाहर की ओर भागा ---
लेकिन
सारी गली शांत पड़ी थी । इधर-उधर देखा तो उसकी नज़र सामने कोठी की छत पर एक बुजुर्ग पौधों को पानी की फुहार कर रहे थे ।
प्रश्न चिन्ह निगाहों से राजेश ने उनकी ओर देखा ।
तो उस बुज़ुर्ग ने अपनी उम्र के अनुभव से राजेश की परेशानी को समझते हुए राजेश को ऊपर से ही बताया कि कुछ देर पहले एक ऑटो आया था । एक बुजुर्ग दंपति आपके घर से निकल कर उस ऑटो से गए हैं ।
राजेश उस शख्स को धन्यवाद देता हुआ अंदर आ गया ।
हैरान परेशान राजेश बुदबुदाता हुआ ...कमाल है....बिना बताए ...न फ़ोन किया....औऱ चले गए । कुछ समझ नही आया .....
कामिनी ने राजेश को बुदबुदाते हुए देख पूछा-- क्या हुआ? कुछ पता चला ?
हद है कामिनी...देखो न ( हकलाते हुए) बाबू जी बिना बताए चले गए ।
कामिनी ने ढांढस बंधाते हुए कहा ---- यहीं कहीं गए होंगे फ़ोन क्यूँ नहीं कर लेते ?
हाँ.. हाँ...करता हूँ। ( घबराहट में राजेश भूल ही गया कि फ़ोन से पूछने का विकल्प उसके पास था)
अभी फ़ोन करने ही लगा था कि राजेश का मोबाइल बज उठा । नंबर देखा तो राजेश की जैसे बाछें खिल उठीं ।
बाबूजी का फ़ोन कामिनी की ओर देख कर राजेश ने फ़ोन उठाया ।
हेलो ...बाबूजी कहाँ चले गए आप ?
हम कितना परेशान हो रहे हैं यहॉं आपको मालूम है ?
उधर से बाबूजी ने कुछ बोला....
राजेश एक दम परेशान हो उठा..
पूछा----क्या हुआ दादी को?
थोड़ी देर बाबूजी कुछ कहते रहे और राजेश सुनता रहा ।
फोन बंद कर राजेश एक दम निढाल हो कुर्सी पर बैठ गया ।
ये देख अब कामिनी भी परेशान हो गई । उसने राजेश से पूछा हुआ क्या?
कुछ बताइए भी ?
कामिनी वो... दादी जी को... हॉस्पिटल ले गए हैं ..लुधियाना ।
औऱ---औऱ
बाबू जी लुधियाना के लिए निकल गए हैं ।
ऐसे कैसे?...कामिनी घबराई हुई बोली...कम से कम फ़ोन कर के बता तो देते । हम भी साथ चलते ?
राजेश कामिनी से सहमत था । और कहा बाबू जी ने कहा उन्होंने बहुत बार फ़ोन किया पर हमारा फ़ोन अनरीचेबल था ।
कामिनी---हाँ हम बेसमेंट में थे न ....
औऱ सलाह दी----
आप ऐसा करो ताऊ जी को फ़ोन लगाओ ।
उनसे बोलो हम आ रहे हैं
कामिनी की सलाह मान--
राजेश ने ताऊ जी को लुधियाना फ़ोन लगा दिया ।
हर्ष महाजन
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आगे:
भाग-4 प्रकाशित हो चुका है ।
बहुत ही रोचक अंदाज़ से क़दम दर क़दम।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई।
सादर
बहुत बहुत शुक्रिया ।
Deleteसादर