Tuesday, June 29, 2021

बैडरूम - ( भाग-3 )


          राजेश और कामिनी को बाज़ार में  कुछ साजो सामान लेते हुए वक़्त कुछ ज़्यादा ही लग गया । सामान लेकर कोठी पर वो वापिस लौटे ।
थोड़ा अंधेरा हो चुका था । लेकिन कोठी का दरवाजा खुला था ।

दोनों हैरान इस बात से थे कि बाबू जी ने घर की लाइट भी नहीं जलाई । अंधेरे में ही बैठे हैं?

पिंटू सो चुका था ।

राजेश दिमाग में किसी अनहोनी का अंदेशा लिए अंदर की ओर बढ़ा । कामिनी भी पीछे पीछे आगे बढ़ी ।

मगर अंदर कोई भी नहीं था ।

न माँ न बाबू जी ।

सारी खुशियाँ पलक झपकते ही  काफ़ूर हो चुकी थीं ।

पिंटू को पलंग पर लिटा राजेश-- बाहर की ओर भागा ---

लेकिन

सारी गली शांत पड़ी थी । इधर-उधर देखा तो उसकी नज़र सामने कोठी की छत पर एक बुजुर्ग पौधों को पानी की फुहार कर रहे थे ।

प्रश्न चिन्ह निगाहों से राजेश ने उनकी ओर देखा ।

तो उस बुज़ुर्ग ने अपनी उम्र के अनुभव से राजेश की परेशानी को समझते हुए  राजेश को ऊपर से ही बताया कि कुछ देर पहले एक ऑटो आया था । एक बुजुर्ग दंपति आपके घर से निकल कर  उस ऑटो से गए हैं ।

राजेश उस शख्स को धन्यवाद देता हुआ अंदर आ गया ।

हैरान परेशान राजेश बुदबुदाता हुआ ...कमाल है....बिना बताए ...न फ़ोन किया....औऱ चले गए । कुछ समझ नही आया .....

कामिनी ने राजेश को बुदबुदाते हुए देख पूछा-- क्या हुआ? कुछ पता चला ?

हद है कामिनी...देखो न ( हकलाते हुए) बाबू जी बिना बताए चले गए ।

कामिनी ने ढांढस बंधाते हुए कहा ---- यहीं कहीं गए होंगे फ़ोन क्यूँ नहीं कर लेते ?

हाँ.. हाँ...करता हूँ। ( घबराहट में राजेश भूल ही गया कि फ़ोन से पूछने का विकल्प उसके पास था)

अभी फ़ोन करने ही लगा था कि राजेश का मोबाइल बज उठा । नंबर देखा तो राजेश की जैसे बाछें खिल उठीं ।

बाबूजी का फ़ोन कामिनी की ओर देख कर राजेश ने फ़ोन उठाया ।

हेलो ...बाबूजी कहाँ चले गए आप ?

हम कितना परेशान हो रहे हैं यहॉं  आपको मालूम है ?

उधर से बाबूजी ने कुछ बोला....

राजेश एक दम परेशान हो उठा..
पूछा----क्या हुआ दादी को?

थोड़ी देर बाबूजी कुछ कहते रहे और राजेश सुनता रहा ।

फोन बंद कर राजेश एक दम निढाल हो कुर्सी पर बैठ गया ।

ये देख अब कामिनी भी परेशान हो गई । उसने राजेश से पूछा हुआ क्या?

कुछ बताइए भी ?

कामिनी वो... दादी जी को... हॉस्पिटल ले गए हैं ..लुधियाना ।
औऱ---औऱ

बाबू जी लुधियाना के लिए निकल गए हैं ।

ऐसे कैसे?...कामिनी घबराई हुई बोली...कम से कम फ़ोन कर के बता तो देते । हम भी साथ चलते ?

राजेश कामिनी से सहमत था । और कहा बाबू जी ने कहा उन्होंने बहुत बार फ़ोन किया पर हमारा फ़ोन अनरीचेबल था ।

कामिनी---हाँ हम बेसमेंट में थे न ....

औऱ सलाह दी----
आप ऐसा करो ताऊ जी को फ़ोन लगाओ ।

उनसे बोलो हम आ रहे हैं

कामिनी की सलाह मान--

राजेश ने ताऊ जी को लुधियाना फ़ोन लगा दिया ।

हर्ष महाजन
◆◆◆◆◆◆◆

आगे:
भाग-4 प्रकाशित हो चुका है ।


2 comments:

  1. बहुत ही रोचक अंदाज़ से क़दम दर क़दम।
    बहुत बहुत बधाई।
    सादर

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया ।

      सादर

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