●अभी तक●
राजेश औऱ कामिनी पिन्टू के साथ जब मार्केट से देर से लौटते हैं तो अंधेरा हो चुका होता है । नई कोठी में राजेश औऱ कामिनी परेशान हो जाते हैं । राजेश अंदर जाकर पहले सभी लाइटें जलाता है । फिर दोनों अंदर देखते हैं कि तो बाबूजी औऱ माँ सुहासिनी भी घर में नहीं हैं । ये देख दोनों औऱ ज़्यादा परेशान हो जाते हैं । पिन्टू भी दादू-दादू करता इधर-उधर देखने को दौड़ता है औऱ देखते-देखते जब नहीं मिलते तो वो रोने लगता है ।
राजेश को कुछ सूझता ही नहीं कभी बाहर तो कभी अंदर । फिर सामने वाले घर की छत से कोई बताता है कि दो बुज़ुर्ग परेशान से लग रहे थे इस घर के आगे से ऑटो पर कहीं निकले हैं ।
कामिनी फिर राजेश को बोलती है कि बाबू जी को फ़ोन लगाओ ?
पर कई बार फोन लगाया जो मिलता नहीं है । इतने में बाबू जी का फ़ोन ख़ुद से आ जाता है ।
वो राजेश को बताते हैं कि ताऊ जी का फ़ोन आया था लुधियाना से ।
दादी कृश्णा दत्त की तबियत अचानक खराब हो जाती है उन्हें अस्पताल दाखिल कराया है ।
इसलिए वो लुधियाना जा रहे हैं । राजेश ने लुधियाना ताऊ जी को फ़ोन लगाकर खुद भी आने की बात पूछी तो उन्होंने मना कर दिया ।
★★★★★★★★■★★★★★★★★
अब आगे:-
राजेश निढाल हो, अंदर पलंग पर लेट जाता है । कामिनी पिन्टू को चुप कराने में लग जाती है ।
लेटे-लेटे राजेश ने कामिनी को बोला-- "कामिनी ?"
"हूँ "-- कामिनी भी अनमनी सी बोलती है ।
"किस्मत कितनी खराब है हमारी---जो दिन हमने यहां आने के लिए चुना उसी दिन ये सब होना था ?"-- राजेश लगभग भरी सी आवाज में बोला ।
"हाँ -- ऊपर वाले के आगे तो कोई भी नहीं है न "---कामिनी अनमनी सी बोली और आगे कहा - "लेकिन बाकि सब तो ठीक है लेकिन, बाबूजी !! अचानक, बिना बताए ही चले गए?
थोड़ा सा रुक भी तो सकते थे"
राजेश ने बीच में ही टोकते औऱ खिसियाते हुए कहा-- "बाबूजी का तो तुम्हें पता ही है । वो किसी भी काम में एक पल भी इंतज़ार नही करते । उनका स्वभाव ही ऐसा है ।"
"पर कामिनी इस नई कोठी से भी अब मेरा मन खट्टा हो गया है, महूर्त ही सही नहीं निकला ।" -- राजेश ने ढीली आवाज़ में कहा ।
"ये क्या कहे जा रहे हो आप"--खून पसीने की कमाई लगी है इस पर ।"---- थोडी गुस्से में पर लाडले अंदाज़ में कामिनी ने कहा ।
"हाँ ये तो है ।"--राजेश ने कहा -
"बहुत थक गया हूँ ।"
"अब तुम खड़े हो जाओ घर वापिस चलना है अंधेरा औऱ बढ़ जाएगा और ट्रैफिक भी फिर ज़ियादा हो जाएगा ।"---कामिनी एक ही सांस में ये सब कह गयी ।
राजेश बोला -- "आज रहने दो, सुबह चलेंगे । हिम्मत भी नही है और अब मूड भी नहीं है ।"
कामिनी की गोद में पिन्टू अब तक रो-रो कर सो चुका था ।
कामिनी ने उसे गोद से उतार कर पलंग पर सुला दिया और बोली---"खाने का क्या करोगे ?
भूखे ही रहोगे क्या?
"मेरे बस की तो नहीं है दुबारा अब बाज़ार जाकर सामान लाया जाए ?"--कामिनी असहाय सी बोली ।
राजेश ने कहा ---मुझे भूख तो वैसे भी नही है ये जो खाने का सामान ले कर आये है ना, इसी में से कुछ कोल्ड ड्रिंक के साथ खा पी लेते हैं"
"औऱ ये पिन्टू?? -- आधी रात को जो उठ के मांगेगा ?"-- कामिनी भिन्नाई ।
" तो इसका मतलब , मार्केट जाना ही पड़ेगा ? फिर ऐसा करते है घर ही चलते हैं" -- राजेश ने सलाह दी ।
"नहीं अब मूड बदल गया है यहीं पड़ौस से किसी से दूध का पैकेट पूछती हूँ मिल जाये तो" -- कामिनी बोली औऱ उठ कर बाहर चली गयी ।
दूध लाकर गर्म किया और पिन्टू को उठा कर नींद में ही थोड़ा-थोड़ा कर पिला दिया ।
दोनों ने भी उस सामान में से थोड़ा बहुत खाया और सो गए ।
सुबह जल्दी उठ वो कोठी से विकास पुरी के लिए निकल लिए ।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
● पिन्टू बेहोश ●
विकास पूरी पहुंचते ही राजेश ने दरवाजा खोला और सीधे बाथरूम गया फ्रेश होने के लिए । कामिनी ने सामान उठाकर अंदर रक्खा ।
पिन्टू दादू-दादू बोलता हुआ, यहाँ भी हर कमरे में ढूँढने लगा । कहीं न मिलने पर वो फिर रोने लगा ।
रोते-रोते वो ऊपर छत पे गया ।
उसे पता था दादू रोज इस वक़्त छत पर पौधों को पानी देने जाते हैं । कामिनी ने जानते हुए भी पिन्टू को बाबूजी के बारे में कुछ नहीं बताया कि वो परेशान न करे ।
इतने में सीढ़ियों से धड़-धड़-धड़ कोई चीज़ गिरने की आवाज़ के साथ पिन्टू की चीख की आवाज सुनाई दी और उसी पल सब शांत हो गया ।
राजेश बाथरूम में था कामिनी तो ऐसे हो गयी जैसे काटो तो खून नहीं ।
कामिनी ने जोर से बाथरूम का दरवाजा खटखटाते हुए बोलती जा रही थी --"पिन्टू -- वो --पिन्टू गिर गया । सर फट गया उसका जल्दी निकलो-"-कामिनी चिल्लाती जा रही थी ।
चीखना चिल्लाना इतना जोर जोर से हुआ कि पडौसी इकट्ठा हो गये ।
इतने में राजेश बाहर आया और ये सब देख सुन फटाफट तैयार हो उसने गाड़ी स्टार्ट की ।
पडौसी, हरि ने पिन्टू को उठाया और चंगाराम अस्पताल के लिए निकल पड़े ।
इधर कामिनी ने सीधे बाबूजी को फोन मिलाया लेकिन उनका फोन लग नही रहा था ।
कामिनी ने फिर ताऊजी का फोन मिलाया । फोन मिल रहा था पर कोई पिक नहीं कर रहा था ।
कुछ देर बाद फ़ोन उठा तो बाबू जी ने ही उठाया ।
कामिनी ने रोते-रोते बताया पिन्टू आपको ढूंढता ढूंढता सीढ़ियों से गिर गया बाबूजी । जल्दी आ जाओ वो बोलती जा रही थी ।
उधर बाबूजी पिन्टू की बात सुन बेहोश हो गये तो लक्ष्मी ताऊजी ने फोन ले कर बात की ।
कामिनी ने जब बदली आवाज सुनी तो पूछा --"बाबूजी कहां गए । वो ठीक तो हैं ना ?"
लक्ष्मीदत्त ताऊ जी ने कहा-- "नहीं वो ठीक हैं वापिसी की तैयारी कर रहे हैं तू चिंता न कर जल्दी पहुँच जाएंगे तुम पिन्टू का तब तक अस्पताल में इंतजाम करो।"
इतने में फोन डिस्कनेक्ट हो गया ।
फोन रख कामिनी कुछ ज़रूरी सामान लेकर घर को ताला लगा चाबी पड़ौस में मालती आँटी को दे वो अस्पताल को चल दी ।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
● पिन्टू औऱ ऑपेरशन थियेटर ●
राजेश ने अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड के आगे गाड़ी रोकी । तीन मेल नर्स फटाफट बेहोश पिन्टू को अंदर ले गए । डॉक्टरों की टीम ने उसे चेक कर सीधे ऑपरेशन थियेटर के लिए ले गए ।
थोड़ी देर में अंदर से डाक्टर ने एक स्लिप बाहर भेजी औऱ एक संदेसा ये कि ब्लड का इंतज़ाम जितनी जल्दी होगा ऑपरेशन उतनी जल्दी शुरू होगा ।
हरि ने देखा --उस स्लिप में कुछ दवाईयां औऱ चार बोतल ब्लड लाने को कहा गया है ।
हरि ने राजेश को स्लिप दिखाई और दवाइयाँ लेने चला गया ।
राजेश परेशान इधर-उधर अपने दोस्तों को ब्लड के लिए फोन घुमाने लगा पर कहीं से कोई रेस्पॉन्स नहीं मिल पा रहा था ।
राजेश अब घबराकर अस्पताल के बाहर आ गया । बाहर उसने कामिनी को ऑटो से उतरते देखा तो उसके दिल को थोड़ी राहत मिली ।
राजेश ने कामिनी को सारी बात बताई ।
कामिनी ने सारी स्तिथि को भांपते हुए राजेश को ढांढस बंधाया औऱ बोली -- "आप चिंता न करें सब ठीक हो जाएगा ।"
स्तिथि को संभालते हुए उसने समझदारी से काम लिया ।
कामिनी के इतना कहने भर से ही राजेश को थोड़ी होशियारी सी महसूस हुई ।
"चलो अंदर चलते हैं"---कामिनी फिर बोली ।
इतने में हरि भी दवाइयाँ लेकर पहुँच गया । तीनों फिर ऊपर गए ।
ऊपर जाते ही कामिनी ने डॉक्टर को दवाइयाँ दीं ।
डाक्टर ने फ़िर पूछा -- "ब्लड का इंतजाम हो गया क्या?"
कामिनी बोली - "डाक्टर साहब हम कहाँ जाएँ ब्लड लेने ?"
डाक्टर ने अब साफ-साफ शब्दों में कह दिया - "मैडम बच्चे का बहुत खून बह चुका है ये न हो बच्चा~~~~~"
कहता हुआ डॉक्टर अंदर चला गया ।
राजेश को तीन महीने पहले जॉन्डिस हुआ था इसलिये वो ब्लड दे नहीं सकता था ।
कामिनी ने अस्पताल के ब्लड बैंक जाकर डॉक्टर की पर्ची के अनुसार खुद अपना ब्लड दिया और डाक्टर को आकर बता दिया ।
डॉक्टर ने बोला - "मैं ऑपेरशन शुरू कर रहा हूँ। एक बोतल जैसे ही खत्म होगी तो उसके बाद के लिए इंतज़ाम कर के रखना ।
नहीं तो ऑपेरशन में मुश्किल हो सकती है ।"
अब तीन बोतल ब्लड का औऱ इंतज़ाम करना था ।
राजेश वहॉं अस्पताल के बाहर लोगों से अपने बच्चे के लिए ब्लड देने की अपील कर रहा था ।
एक आदमी अभी-अभी ऑटो से उतर उसे पेमेंट कर रहा था । राजेश जल्दी से पेमेंट करते हुए शख्स से ब्लड के लिए अपील करने लगा ।
वो शख्स जैसे ही मुड़ा --राजेश हैरान हो कर उसे देखने लगा औऱ बरबस ही मुँह से निकल गया---- "मुक्की तुम !! ~~~~ यहाँ कैसे??"
मुकेश ने बोला -- "सब बातें छोड़ो पहले ये बताओ ब्लड कहाँ देना है ?
राजेश हैरान होकर उसे देखने लगा और सोचने लगा उसे ये सब कैसे मालूम हुआ ? आँखें नम हो गईं ।
ये देख मुकेश बोला--"घबराओ नहीं भैया सब ठीक हो जाएगा ।"
साथ में एक दोस्त भी था - "इसे पहचाना भैया?" -- उस शख्स की तरफ इशारा करता हुआ मुकेश बोला ।
राजेश ने उसकी तरफ देख पहचानते हुए बोला -- "ओ हो ये वो योगेश, जो रफी के गाने गाता था । वही है न ?"
ये सुन योगेश भी नमस्कार भाई साहब कहता हुआ हँस पड़ा ।
दोनों ने अंदर जाकर ब्लड दिया ।
ऑपेरशन दो घंटे चला
" डाक्टर ने बताया सब ठीक हो गया है पांच-पांच टाँके दो जगह लगे हैं बच्चा खतरे से बाहर है" --- डॉक्टर ने बाहर आकर खुशी-खुशी बताया ।
कामिनी ने राजेश को बताया कि माँ का दो बार फोन आ चुका है । राजधानी में बैठे हैं सुबह पहुंचेंगे ।
राजेश ने अपने मन की बात कामिनी को बताई -- "कामिनी एक बात बार-बार मन में खटक रही है ।"
कामिनी ने झट से पूछा - "क्या?"
"बाबूजी जब से गये हैं, उन्होंने एक बार भी ख़ुद मुझसे बात नही की ?" -- राजेश के स्वर में दर्द झलक रहा था ।
रुक कर फिर बोला - "हमसे कुछ भूल तो नहीं हो गयी या हमारी तरफ से कोई बात उन्हें बुरी तो नहीं लगी ?"
"अब ये तो वो ही बता सकते हैं"-- कामिनी ने भी दो टूक जवाब देते हुए कहा ।
रात को राजेश अस्पताल में रुक गया । हरि तीनों को ले घर चला गया ।
देवर भाभी की सारी रात एक दूसरे की ख़ैर पूछते औऱ बतियाते निकली ।
अस्पताल में राजेश की रात भी आँखों-आंखों में निकल गयी ।
राजेश ने घड़ी देखी--- सुबह के सात बज चुके थे ।
सोचा ट्रेन आ चुकी होगी ।
ये सोच बाबूजी को फ़ोन लगाकर पूछता हूँ कि इस वक़्त वो कहाँ पहुँचे हैं।
फोन लगाया बाबूजी ने ही उठाया ।
"कहाँ हो बाबूजी ?"-- जैसे ही राजेश ने पूछा ।
उधर से फ़ोन कट गया ।
राजेश ने फिर कई बार फोन कर के देखा -- माँ और बाबूजी दोनों का फ़ोन अब स्विच ऑफ आने लगा था ।
उसे कुछ झटका सा महसूस हुआ फ़ोन बंद होने के बाद भी कान से लगा का लगा ही रह गया ।
---हर्ष महाजन
◆◆◆◆◆
क्रमश:
भाग-8
Coming soon
●अभी तक●
राजेश औऱ कामिनी पिन्टू के साथ जब मार्केट से देर से लौटते हैं तो अंधेरा हो चुका होता है । नई कोठी में राजेश औऱ कामिनी परेशान हो जाते हैं । राजेश अंदर जाकर पहले सभी लाइटें जलाता है । फिर दोनों अंदर देखते हैं कि तो बाबूजी औऱ माँ सुहासिनी भी घर में नहीं हैं । ये देख दोनों औऱ ज़्यादा परेशान हो जाते हैं । पिन्टू भी दादू-दादू करता इधर-उधर देखने को दौड़ता है औऱ देखते-देखते जब नहीं मिलते तो वो रोने लगता है ।
राजेश को कुछ सूझता ही नहीं कभी बाहर तो कभी अंदर । फिर सामने वाले घर की छत से कोई बताता है कि दो बुज़ुर्ग परेशान से लग रहे थे इस घर के आगे से ऑटो पर कहीं निकले हैं ।
कामिनी फिर राजेश को बोलती है कि बाबू जी को फ़ोन लगाओ ?
पर कई बार फोन लगाया जो मिलता नहीं है । इतने में बाबू जी का फ़ोन ख़ुद से आ जाता है ।
वो राजेश को बताते हैं कि ताऊ जी का फ़ोन आया था लुधियाना से ।
दादी कृश्णा दत्त की तबियत अचानक खराब हो जाती है उन्हें अस्पताल दाखिल कराया है ।
इसलिए वो लुधियाना जा रहे हैं । राजेश ने लुधियाना ताऊ जी को फ़ोन लगाकर खुद भी आने की बात पूछी तो उन्होंने मना कर दिया ।
★★★★★★★★■★★★★★★★★
अब आगे:-
राजेश निढाल हो, अंदर पलंग पर लेट जाता है । कामिनी पिन्टू को चुप कराने में लग जाती है ।
लेटे-लेटे राजेश ने कामिनी को बोला-- "कामिनी ?"
"हूँ "-- कामिनी भी अनमनी सी बोलती है ।
"किस्मत कितनी खराब है हमारी---जो दिन हमने यहां आने के लिए चुना उसी दिन ये सब होना था ?"-- राजेश लगभग भरी सी आवाज में बोला ।
"हाँ -- ऊपर वाले के आगे तो कोई भी नहीं है न "---कामिनी अनमनी सी बोली और आगे कहा - "लेकिन बाकि सब तो ठीक है लेकिन, बाबूजी !! अचानक, बिना बताए ही चले गए?
थोड़ा सा रुक भी तो सकते थे"
राजेश ने बीच में ही टोकते औऱ खिसियाते हुए कहा-- "बाबूजी का तो तुम्हें पता ही है । वो किसी भी काम में एक पल भी इंतज़ार नही करते । उनका स्वभाव ही ऐसा है ।"
"पर कामिनी इस नई कोठी से भी अब मेरा मन खट्टा हो गया है, महूर्त ही सही नहीं निकला ।" -- राजेश ने ढीली आवाज़ में कहा ।
"ये क्या कहे जा रहे हो आप"--खून पसीने की कमाई लगी है इस पर ।"---- थोडी गुस्से में पर लाडले अंदाज़ में कामिनी ने कहा ।
"हाँ ये तो है ।"--राजेश ने कहा -
"बहुत थक गया हूँ ।"
"अब तुम खड़े हो जाओ घर वापिस चलना है अंधेरा औऱ बढ़ जाएगा और ट्रैफिक भी फिर ज़ियादा हो जाएगा ।"---कामिनी एक ही सांस में ये सब कह गयी ।
राजेश बोला -- "आज रहने दो, सुबह चलेंगे । हिम्मत भी नही है और अब मूड भी नहीं है ।"
कामिनी की गोद में पिन्टू अब तक रो-रो कर सो चुका था ।
कामिनी ने उसे गोद से उतार कर पलंग पर सुला दिया और बोली---"खाने का क्या करोगे ?
भूखे ही रहोगे क्या?
"मेरे बस की तो नहीं है दुबारा अब बाज़ार जाकर सामान लाया जाए ?"--कामिनी असहाय सी बोली ।
राजेश ने कहा ---मुझे भूख तो वैसे भी नही है ये जो खाने का सामान ले कर आये है ना, इसी में से कुछ कोल्ड ड्रिंक के साथ खा पी लेते हैं"
"औऱ ये पिन्टू?? -- आधी रात को जो उठ के मांगेगा ?"-- कामिनी भिन्नाई ।
" तो इसका मतलब , मार्केट जाना ही पड़ेगा ? फिर ऐसा करते है घर ही चलते हैं" -- राजेश ने सलाह दी ।
"नहीं अब मूड बदल गया है यहीं पड़ौस से किसी से दूध का पैकेट पूछती हूँ मिल जाये तो" -- कामिनी बोली औऱ उठ कर बाहर चली गयी ।
दूध लाकर गर्म किया और पिन्टू को उठा कर नींद में ही थोड़ा-थोड़ा कर पिला दिया ।
दोनों ने भी उस सामान में से थोड़ा बहुत खाया और सो गए ।
सुबह जल्दी उठ वो कोठी से विकास पुरी के लिए निकल लिए ।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
● पिन्टू बेहोश ●
विकास पूरी पहुंचते ही राजेश ने दरवाजा खोला और सीधे बाथरूम गया फ्रेश होने के लिए । कामिनी ने सामान उठाकर अंदर रक्खा ।
पिन्टू दादू-दादू बोलता हुआ, यहाँ भी हर कमरे में ढूँढने लगा । कहीं न मिलने पर वो फिर रोने लगा ।
रोते-रोते वो ऊपर छत पे गया ।
उसे पता था दादू रोज इस वक़्त छत पर पौधों को पानी देने जाते हैं । कामिनी ने जानते हुए भी पिन्टू को बाबूजी के बारे में कुछ नहीं बताया कि वो परेशान न करे ।
इतने में सीढ़ियों से धड़-धड़-धड़ कोई चीज़ गिरने की आवाज़ के साथ पिन्टू की चीख की आवाज सुनाई दी और उसी पल सब शांत हो गया ।
राजेश बाथरूम में था कामिनी तो ऐसे हो गयी जैसे काटो तो खून नहीं ।
कामिनी ने जोर से बाथरूम का दरवाजा खटखटाते हुए बोलती जा रही थी --"पिन्टू -- वो --पिन्टू गिर गया । सर फट गया उसका जल्दी निकलो-"-कामिनी चिल्लाती जा रही थी ।
चीखना चिल्लाना इतना जोर जोर से हुआ कि पडौसी इकट्ठा हो गये ।
इतने में राजेश बाहर आया और ये सब देख सुन फटाफट तैयार हो उसने गाड़ी स्टार्ट की ।
पडौसी, हरि ने पिन्टू को उठाया और चंगाराम अस्पताल के लिए निकल पड़े ।
इधर कामिनी ने सीधे बाबूजी को फोन मिलाया लेकिन उनका फोन लग नही रहा था ।
कामिनी ने फिर ताऊजी का फोन मिलाया । फोन मिल रहा था पर कोई पिक नहीं कर रहा था ।
कुछ देर बाद फ़ोन उठा तो बाबू जी ने ही उठाया ।
कामिनी ने रोते-रोते बताया पिन्टू आपको ढूंढता ढूंढता सीढ़ियों से गिर गया बाबूजी । जल्दी आ जाओ वो बोलती जा रही थी ।
उधर बाबूजी पिन्टू की बात सुन बेहोश हो गये तो लक्ष्मी ताऊजी ने फोन ले कर बात की ।
कामिनी ने जब बदली आवाज सुनी तो पूछा --"बाबूजी कहां गए । वो ठीक तो हैं ना ?"
लक्ष्मीदत्त ताऊ जी ने कहा-- "नहीं वो ठीक हैं वापिसी की तैयारी कर रहे हैं तू चिंता न कर जल्दी पहुँच जाएंगे तुम पिन्टू का तब तक अस्पताल में इंतजाम करो।"
इतने में फोन डिस्कनेक्ट हो गया ।
फोन रख कामिनी कुछ ज़रूरी सामान लेकर घर को ताला लगा चाबी पड़ौस में मालती आँटी को दे वो अस्पताल को चल दी ।
★★★★★★★★★★★★★★★★★
● पिन्टू औऱ ऑपेरशन थियेटर ●
राजेश ने अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड के आगे गाड़ी रोकी । तीन मेल नर्स फटाफट बेहोश पिन्टू को अंदर ले गए । डॉक्टरों की टीम ने उसे चेक कर सीधे ऑपरेशन थियेटर के लिए ले गए ।
थोड़ी देर में अंदर से डाक्टर ने एक स्लिप बाहर भेजी औऱ एक संदेसा ये कि ब्लड का इंतज़ाम जितनी जल्दी होगा ऑपरेशन उतनी जल्दी शुरू होगा ।
हरि ने देखा --उस स्लिप में कुछ दवाईयां औऱ चार बोतल ब्लड लाने को कहा गया है ।
हरि ने राजेश को स्लिप दिखाई और दवाइयाँ लेने चला गया ।
राजेश परेशान इधर-उधर अपने दोस्तों को ब्लड के लिए फोन घुमाने लगा पर कहीं से कोई रेस्पॉन्स नहीं मिल पा रहा था ।
राजेश अब घबराकर अस्पताल के बाहर आ गया । बाहर उसने कामिनी को ऑटो से उतरते देखा तो उसके दिल को थोड़ी राहत मिली ।
राजेश ने कामिनी को सारी बात बताई ।
कामिनी ने सारी स्तिथि को भांपते हुए राजेश को ढांढस बंधाया औऱ बोली -- "आप चिंता न करें सब ठीक हो जाएगा ।"
स्तिथि को संभालते हुए उसने समझदारी से काम लिया ।
कामिनी के इतना कहने भर से ही राजेश को थोड़ी होशियारी सी महसूस हुई ।
"चलो अंदर चलते हैं"---कामिनी फिर बोली ।
इतने में हरि भी दवाइयाँ लेकर पहुँच गया । तीनों फिर ऊपर गए ।
ऊपर जाते ही कामिनी ने डॉक्टर को दवाइयाँ दीं ।
डाक्टर ने फ़िर पूछा -- "ब्लड का इंतजाम हो गया क्या?"
कामिनी बोली - "डाक्टर साहब हम कहाँ जाएँ ब्लड लेने ?"
डाक्टर ने अब साफ-साफ शब्दों में कह दिया - "मैडम बच्चे का बहुत खून बह चुका है ये न हो बच्चा~~~~~"
कहता हुआ डॉक्टर अंदर चला गया ।
राजेश को तीन महीने पहले जॉन्डिस हुआ था इसलिये वो ब्लड दे नहीं सकता था ।
कामिनी ने अस्पताल के ब्लड बैंक जाकर डॉक्टर की पर्ची के अनुसार खुद अपना ब्लड दिया और डाक्टर को आकर बता दिया ।
डॉक्टर ने बोला - "मैं ऑपेरशन शुरू कर रहा हूँ। एक बोतल जैसे ही खत्म होगी तो उसके बाद के लिए इंतज़ाम कर के रखना ।
नहीं तो ऑपेरशन में मुश्किल हो सकती है ।"
अब तीन बोतल ब्लड का औऱ इंतज़ाम करना था ।
राजेश वहॉं अस्पताल के बाहर लोगों से अपने बच्चे के लिए ब्लड देने की अपील कर रहा था ।
एक आदमी अभी-अभी ऑटो से उतर उसे पेमेंट कर रहा था । राजेश जल्दी से पेमेंट करते हुए शख्स से ब्लड के लिए अपील करने लगा ।
वो शख्स जैसे ही मुड़ा --राजेश हैरान हो कर उसे देखने लगा औऱ बरबस ही मुँह से निकल गया---- "मुक्की तुम !! ~~~~ यहाँ कैसे??"
मुकेश ने बोला -- "सब बातें छोड़ो पहले ये बताओ ब्लड कहाँ देना है ?
राजेश हैरान होकर उसे देखने लगा और सोचने लगा उसे ये सब कैसे मालूम हुआ ? आँखें नम हो गईं ।
ये देख मुकेश बोला--"घबराओ नहीं भैया सब ठीक हो जाएगा ।"
साथ में एक दोस्त भी था - "इसे पहचाना भैया?" -- उस शख्स की तरफ इशारा करता हुआ मुकेश बोला ।
राजेश ने उसकी तरफ देख पहचानते हुए बोला -- "ओ हो ये वो योगेश, जो रफी के गाने गाता था । वही है न ?"
ये सुन योगेश भी नमस्कार भाई साहब कहता हुआ हँस पड़ा ।
दोनों ने अंदर जाकर ब्लड दिया ।
ऑपेरशन दो घंटे चला
" डाक्टर ने बताया सब ठीक हो गया है पांच-पांच टाँके दो जगह लगे हैं बच्चा खतरे से बाहर है" --- डॉक्टर ने बाहर आकर खुशी-खुशी बताया ।
कामिनी ने राजेश को बताया कि माँ का दो बार फोन आ चुका है । राजधानी में बैठे हैं सुबह पहुंचेंगे ।
राजेश ने अपने मन की बात कामिनी को बताई -- "कामिनी एक बात बार-बार मन में खटक रही है ।"
कामिनी ने झट से पूछा - "क्या?"
"बाबूजी जब से गये हैं, उन्होंने एक बार भी ख़ुद मुझसे बात नही की ?" -- राजेश के स्वर में दर्द झलक रहा था ।
रुक कर फिर बोला - "हमसे कुछ भूल तो नहीं हो गयी या हमारी तरफ से कोई बात उन्हें बुरी तो नहीं लगी ?"
"अब ये तो वो ही बता सकते हैं"-- कामिनी ने भी दो टूक जवाब देते हुए कहा ।
रात को राजेश अस्पताल में रुक गया । हरि तीनों को ले घर चला गया ।
देवर भाभी की सारी रात एक दूसरे की ख़ैर पूछते औऱ बतियाते निकली ।
अस्पताल में राजेश की रात भी आँखों-आंखों में निकल गयी ।
राजेश ने घड़ी देखी--- सुबह के सात बज चुके थे ।
सोचा ट्रेन आ चुकी होगी ।
ये सोच बाबूजी को फ़ोन लगाकर पूछता हूँ कि इस वक़्त वो कहाँ पहुँचे हैं।
फोन लगाया बाबूजी ने ही उठाया ।
"कहाँ हो बाबूजी ?"-- जैसे ही राजेश ने पूछा ।
उधर से फ़ोन कट गया ।
राजेश ने फिर कई बार फोन कर के देखा -- माँ और बाबूजी दोनों का फ़ोन अब स्विच ऑफ आने लगा था ।
उसे कुछ झटका सा महसूस हुआ फ़ोन बंद होने के बाद भी कान से लगा का लगा ही रह गया ।
---हर्ष महाजन
◆◆◆◆◆
क्रमश:
भाग-8
Coming soon