Sunday, May 17, 2015

विश्वास

                    



------------राजू छठी कक्षा में पढता था | स्कूल से छुट्टी होने के पश्चात वह प्रतिदिन घर की तरफ जाते हुए आधे रास्ते में ही चौक के बाईं ओर बनी भगवान् राम की मूर्ती पर अपने फुट्टे से चोट मारता और उसी रास्ते पर आये एक छोटे से तालाब के पास थोड़ी देर रुकता , घूरता और कंकड़ फेंकता हुआ घर पहुंचता | वह ज़िन्दगी में सब कुछ भूल सकता था पर यह दिन चर्या नहीं भूलता था | चुपचाप रहना उसका स्वभाव बन चूका था | उसके दोस्त भी उसकी इस आदत से परेशान थे | उन्हें राजू का पुराना स्वभाव भूला नहीं था, जब वह हमेशा हँसता खेलता था और सबको हँसता रहता था | वह एक पल भी चुप नहीं रह सकता था |
------------एक दिन उसकी कक्षा की ही एक छात्रा, जिसका नाम करुना था, ने रोका और चुप रहने के कारण पूछा | करुना को कक्षा में प्रवेश लिए अभी एक महीना ही हुआ था ओर वो भी ज्यादा बोलने में विश्वास नहीं रखती थी | पुराने स्कूल में उसके साथी उसे मिस सीरियस कहा करते थे | लेकिन राजू को उसने अपने से भी एक कदम आगे पाया | करुना के पूछने पर राजू ने उसकी तरफ देखा | राजू के चहरे पर कई प्रकार के भाव आये | चेहरे के भावों में प्रतीत हो रहा था जैसे इस प्रश्न ने उसे कहीं गहरी चोट दी है, कुछ बोलना चाहता है पर बोल नहीं पाता और आगे की ओर चल पड़ता है | करुना अपने प्रश्न के घेरे में ही उलझ जाती है | वो अपने को प्रश्न का उत्तर न मिलने पर ज़लील हुआ समझने लगती है | करुना को अपना अंतर्मन परेशान करने लगा | वह राजू को समझाना चाहती थी | उसका स्वभाव जो बाकि बच्चों से पता चला था, वह उसके आज के स्वभाव से काफी भिन्न था | परेशान मन को लिए, आज वह अपने घर जाने के बजाय राजू के पीछे चल दी | आगे-आगे राजू चल रहा था ओर पीछे-पीछे करुणा | उसकी हर हरकत नोट करते हुए करुणा उसके घर तक जा पहुंची | राजू ने जब अपने घर जाकर जैसे मुड़कर अपना दरवाजा बंद करना चाहा –तो वो करुणा को सामने देख हैरान रह गया | राजू बुत की तरह खड़ा उसे यूँ ही देखता रहा | वह तो सुध ही भूल चुका था कि करुणा को क्या कहे | करुणा एक टक उसे देख रही थी और उम्मीद कर रही थी कि राजू उसे अंदर आने के लिए पूछेगा | लेकिन राजू यूँ ही जड़वत खड़ा रहा | करुना खडी –खड़ी पानी होती रही और आखिर उसकी आँखों से आंसू बह निकले | आंसू देख राजू घबरा गया और एक दम बोल उठा – ‘आप अंदर आइये न, रोईयेगा नहीं, प्लीस’ | करुणा को जैसे बहुत बड़ी चीज़ मिली हो | वह खुश हो गयी और राजू के संग उसके घर प्रवेश कर गयी | राजू ने उसे बिठाया, पानी पिलाया और कारण पुछा | करुणा ने वही प्रश्न दोहराया | राजू समझ गया कि करुणा बिना जाने, चैन से नहीं बैठेगी | उसने भी करुणा की उत्सुकता का कारण पुछा | छोटी सी उम्र की करुणा इस बात का जवाब न दे पाई | वो नहीं जानती थी इसका कारण | पर, मन बैचेन था | राजू उसके सामने ही ज़मीन पर बैठता हुआ, अपनी व्यथा सुनाने लगा |
------------राजू ने बताया, दो वर्ष पुरानी बात है, मैं चौथी क्लास में पढता था | मेरे साथ मेरा एक मित्र श्याम जो मेरे पड़ोस में ही रहता था, मेरी ही कक्षा में था | हम बड़े गहरे मित्र थे | बड़ा विश्वास था मुझे मेरे भगवान् पर | चौबीस घंटे मेरी जुबान पर भगवान् का ही नाम रहा करता था | मेरी माँ भी बड़ी अन्ध-विश्वासी थी | मैं उसे पूजा पाठ करते देखता रहता – मुझे ये सब अच्छा लगता, मैं भी करता | हर मंगलवार को मैं प्रसाद भी चढ़ाया करता था | कभी सोमवार को शिवजी की प्रतिमा पर पानी या कच्ची लस्सी भी चढ़ाया करता था | मन करता, तो कभी संतोषी माँ के व्रत रखा करता | इतनी छोटी उम्र में ये सब करता देख मेरे साथी मुझे चिढाते भी और बहुत से बच्चे मुझे सराहते भी | मैंने कभी किसी की परवाह नहीं की | श्याम, जिसे मैं प्यार से श्यामू भी कहा करता था , उसको मेरी इस पूजा का विरोध करना, जैसे आदत बन चुकी थी | मुझे स्कूल ले जाने के लिए मेरे घर दो घंटे पहले ही आ जाया करता, क्यूंकि मैं पूजा न कर सकूं | लेकिन मैं भी ढीठ था | पूजा करके ही, घर से निकलता था | मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि श्यामू पूरी तरह से नास्तिक था | वो मुझे भी यही समझाया करता था की पूजा करने से कुछ प्राप्त नहीं होता, ये सब ढकोंस्ले-बाजी है | मैं भी एक कान से सुनता और दूसरे कान से निकाल देता था
------------करुणा ने राजू को बीच में ही टोकते हुए पूछा कि “श्याम क्यूँ नहीं भगवान् को मानता था ?” उसके साथ क्या ऐसा बीता – “कि वो नास्तिक बन गया ?” राजू ने आगे - बताया, श्यामू कहा करता था, कि भगवान् कभी भी किसी को कुछ नहीं दे सकता, क्यूंकि वह है ही नहीं | बचपन में ही उसकी माँ चल बसी थी | जब वह तीसरी मे पहुंचा तो उसके पिताजी, उसी तालाब में डूब कर मर गए, जिस तालाब को हम रास्ते में देखते आये हैं | वह इसे भुतिहा तालाब कहता था | स्कूल से फीस माफ़ थी किताबें मिल जाती थीं | घर के खर्च के लिए लोगों के कपडे प्रेस करता था | एक दिन उसके और मेरे बीच ऐसे ही लड़ाई हो गई | श्यामू और मैं स्कूल से आ रहे थे – उसने मुझे कहा – राजू तू एक दिन मानेगा की भगवान् है ही नहीं – तू भी भगवान् से नफ़रत करने लगेगा – नहीं करेगा तो मैं तुझे मजबूर कर दूंगा | लेकिन मैंने उसे याद दिलाया कि वह तो आज शहर छोड़ के जाने वाला है तो मुझे कैसे मजबूर करेगा | क्यूंकि उसने मुझे कहा था कि शर्मा जी जिनके वह कपडे प्रेस करता है, उनकी कोई संतान नहीं है—वो उसको अपना बेटा बनाकर बहार ले जायेंगे | तो उसने मुझे जवाब दिया था की वो उसे बाहर से ही बस में कर के मजबूर कर देगा और कहता हुआ खिलखिला कर हंस पडा | मुझे बहुत बुरा लगा | मैंने उसे कई बार समझाया, देख श्यामू अगर त्य्झे भगवान् की अराधना नहीं करनी तो तू मत कर, लेकिन मुझे रोकने का क्या तात्पर्य है ? तो उसने जवाब दिया था कि उसकी ज़िंदगी तबाह करने वाला ही भगवान् है | इस तरह बहस करते हुए हम दोनों उस तालाब तक जा पहुंचे थे | हमारी बहस भी जोर पकड़ चुकी थी | हम बहस करते हुए हाथापाई पर उतर आये | मुझे इतना गुस्सा आया उसे चलते चलते जोर से धक्का दे दिया | श्यामू सीधा तालाब में जा गिरा | मैं घबरा गया | घबराहट में मैंने जोर-जोर से श्यामू - श्यामू आवाजें लगायी चिल्लाया भी | पर वो तो शायद अंदर ही कहीं गायब हो चूका था | आसपास कोई न था | मेरा जिगरी दोस्त डूब चुका था | मैं वहाँ से घबरा के घर की ओर भागा | पापा को बताया | पापा तैरना जानते थे | कपडे उतार कर तालाब में कूदे, ढूंढा , लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा | हार कर हम घर वापिस आ गए | श्यामू अंदर से, ऐसे गायब हुआ जैसे किसी भूत ने उसे कहीं गायब कर दिया हो | मेरे हाथों मेरा दोस्त मारा जा चुका था | पापा ने किसी से ज़िक्र करने को मना कर दिया था | पुलिस का झंझंट सहने की शक्ति न मुझमें थी, न मेरे पापा में | श्यामू जीत गया था | मुझे नफरत हो गई भगवान् से | कहता हुआ राजू, जोर जोर से रोने लगा |................................................................................


------------करुणा ने उसके सर पर हाथ रख कर चुप होने को कहा, और पूछा, कि - क्या वो तैरना नहीं जानता था ? राजू ने कहा – जब श्यामू डूबा, तो वह तैरना नहीं जानता था | अगर जानता तो श्यामू को ज़रूर बचा लेता | इसलिए उसने बाद में तैरना सीखा | करुणा ने राजू को समझाया- कि उसे इस प्रकार नास्तिक नहीं बनना चाहिए | यह तो एक हादसा था जो गलती से हो गया | लेकिन राजू नहीं माना | उसने जवाब में यही कहा कि जिस भगवान् की वह पूजा करता था , उसने उसकी कोई सहायता नहीं की, बल्कि उसने श्यामू को डुबो दिया | इसलिए वो रोज़ बेनागा फुट्टे की एक चोट भगवान् को लगा कर आता है | करुणा ने राजू को फिर रास्ते नें तालाब के पास रोज़ थोड़ी देर रुकने का कारण पूछा - तो राजू ने जवाब में कहा कि अब भी इसी उम्मीद से उसके पास खड़ा होता हूँ कि शायद श्यामू उसमें से बाहर निकले गा और उसके गले से लग जाएगा | अब भगवान् पर विश्वास तभी हो सकता है जब श्यामू तालाब से बाहर निकले |

------------ये बातें सुन करुणा परेशान हो उठी | वह सोचने लगी शायद राजू, कुछ दिमाग से भी कमज़ोर हो चूका है | उसने राजू को समझाया कि जाने वाले कभी वापिस नहीं आते | राजू ने फिर वही जवाब दिया | कि खोया हुआ विश्वास भी कभी वापिस नहीं आता | राजू काफी भावुक स्थिति में था | इस स्थिति को बदलने के लिए करुणा ने राजू से पूछा है | क्या उसे मछली पकड़ना अच्छा लगता है ? तो राजू ने जवाब दिया, हाँ उसे अच्छा लगता था | लेकिन श्यामू तो है नहीं –इसलिए किसके साथ जाता | सो मछली पकड़ना भी बंद कर दिया था | करुणा ने उस से कहा –चलो हम दोनों मिलकर मछली पकड़ते हैं | राजू को अपना पुराना वक़्त याद आने लगा | कुछ सोचते हुए उठा और घर के स्टोर से दो बासुरियां उठाई , एक खुद ली और एक करुणा को दी | दोनों तालाब पर जा पहुंचे | दोनों ने अपनी बांसुरी का काँटा पानी में उतारा और बातें करने लगे | थोड़ी देर बाद करुणा के कांटे में मछली फंसी और धागा नीचे डूब गया | करुणा ने उसे खींचा और एक झटके के साथ मछली कांटे के साथ बाहर निकली | काफी बड़ी मछली थी लेकिन झटका लगते ही करुणा का सोने का बंद जो हाथ में पहना था, तालाब में जा गिरा | अब करुणा एक दम घबरा गई और तालाब में गिरते-गिरते बची | करुणा रुआंसी- सी हो गई | राजू यह देख एक दम तालाब में कूद पडा | तालाब का पानी ऊपर से काफी मिला था | अंदर पहुँच कर उसने देखा नीचे की सताह का पानी काफी साफ़ है | बंद सामने पडा हुआ चमकने लगा | उसने जैसे ही उसकी तरफ हाथ बढाया तो उसका हाथ आगे बढ़ने से इनकार करने लगा | उसको लगा जैसे उसे किसी ने पीछे से दबोच रखा है | काफी कोशिश की छुटने की , लेकिन ग्रिफ्ट बड़ी मज़बूत थी | बाहर बैठी करुणा परेशान होने लगी | राजू को तालाब में कूदे हुए, तीन-चार मिनट हो चुके थे | राजू नीचे पानी में जूझ रहा था | तालाब में भूत का प्रभाव उसे य|द् आने लगा था | वो सोचने लगा, श्यामू भी इसी तरह गरिफ्त में आया होगा | लेकिन उसने कहीं पडा था ज़िंदगी में कभी हिम्मत नहीं हरनी चाहिए | अपनी तरफ से आखिरी सांस तक लड़ना चाहिए | यह सोच कर उसने जोर से झटका लगाया | झटका लगने से उसकी कमीज़ फटने की आवाज़ आयी और हाथ सीधे बंद पर जा पडा | बंद हाथ में आने के बाद उसने अपने आप को ऊपर उठाने की कोशिश की | लेकिन उसकी कमीज़ वहाँ लगे एक सरिये में बुरी तरह अड़ी होने के कारण, वह वहाँ उलझ कर रह गया | इतने में कोई व्यक्ति बाईं तरफ से आया और उसको छुड़ाता हुआ, ऊपर ले गया और तालाब से बाहर निकाला | तब तक राजू सांस उखड चुकी थी | और पेट में पानी पानी जा चूका था | उस व्यक्ति ने उसको उल्टा कर पेट से पानी निकला | थोड़ी देर में राजू को होश आया | उसने आँखें खोली तो सामने श्यामू को खड़ा पाया | उसको देखते ही वह अपनी आखों को मलने लगा | उसे विश्वास ही नहीं हो पा रहा था कि श्यामू सामने खड़ा है | दोनों एक दुसरे से लिपट गए | राजू भगवान् को जैसे ही गाली निकलने लगा तो श्यामू ने उसके मुख पर हाथ रखते हुए कहा –कि राजू यही वो भगवान् है जिसने तुझे बचाया है | एक बार फिर राजू हैरान सा श्यामू की शक्ल देखने लगा | श्यामू ने आगे कहा –मुझे अच्छा घर देने वाला वही भगवान् है | श्यामू बोल रहा था तो राजू हैरानी से सोच रहां था कि वह तो डूब चूका था ? फिर वो यहाँ कैसे पहुँच गया ? श्यामू ने उसकी हैरानी को समझते हुए बताया की उस रोज़ जैसे वो धक्का देकर भागा था वह तालाब से निकला और देखा की वो श्यामू-श्यामू करता घर की तरफ भाग रहा है | तो मैं यह सही मौका जानकार वहीँ से शर्मा जी के बताये स्थान पर पहुंचा | जहाँ से मुझे उनके साथ बाहर आना था | और तूने ये समझा होगा कि मैं डूब गया | राजू उस से यह कहता हुआ फिर लिपट गया कि उसने उसे बहुत सताया है और रोते-रोते उसे धन्यवाद करने लगा की उसने आज उसकी जान बचा ली |तो इसके जवाब में श्यामू ने जवाब दिया , नहीं राजू, तेरी पूजा भी दिल से थी और नफरत भी | जब तो भगवान् की पूजा करता था, तो भी प्रतिदिन बेनागा | और जब नफरत करता था तो भी लगन से बे-नागा भगवान् की मूर्ती को फुट्टे से चोट मारता था | तेरी इसी भक्ति को देखकर भगवान् हमेशा तुझसे खुश हुए और रात को मेरे सपने में आकर मुझे झिंझोड़ा , उठ श्यामू तेरा दोस्त डूब रहा है | मैं जल्दी से उठा : दिमाग परेशान हो गया | जल्दी से बस पकड़ सीधा उस तालाब पर पहुंचा | श्यामू ऊपर भगवान् की तरफ हाथ फैलाता हुआ और फिर हाथ जोड़ता हुआ बोला , हे भगवान्- हमारी गलतियों को माफ़ करना | मेरा यार मुझे वापिस देकर तूने मुझे धन्य कर दिया | कहते हुए श्यामू की आँखों से मोती झड़ने लगे |

करुणा दोनों दोस्तों का यह मिलाप देख भाव-विभोर हो रही थी |

--------------------------------समाप्त-------------------------------

2 comments:

  1. Awesome.....shuru se akhir tak dilchasp....ek behad shaandaar rachna.

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  2. Nazneen Khan sahiba aapkoye kahaani pasaNd aayi to yaqiin jaaniye merii meHnat vasool ho gayii.........nazar-e-inaayat ke liye mamnoon hooN...umeed karta huN aaiiNda bhi aap merii kahi kahaaniyoN par dastak dete raheNge >>>

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